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story of sanskriti

मुंशी प्रेमचंद की कहानी : धिक्कार!!

बात उस समय की है जब ईरान और यूनान के बीच लड़ाई हो रही थी। ईरानियों का आक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा था और यूनानी कमजोर पड़ रहे थे। आलम ऐसा था कि देश के सारे व्यापार बंद हो चुके थे और सभी युद्ध की तैयारी में जुट गए थे। यहां तक की देश के किसान भी अपने हाथों …

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नालन्दा विश्वविद्यालय!!

बख्तियारपुर जक्शन” अर्थात भारतीय रेलवे स्टेशन के नाम है जो बिहार के राज्य में है, दुर्भाग्य कहे या मूर्खता की पराकाष्ठा बख्तियार खिलजी जो एक मुस्लिम आक्रमणकारी था!जिसने भारत की सबसे उन्नत शिक्षा प्रणाली को नष्ट किया साथ ही वहाँ पर पढ़ रहे छात्र एवं शिक्षकों को जिनकी संख्या छात्र 10 हज़ार, शिक्षा 2 हज़ार जिनमें से बहुत से लोगो …

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गुरुकुल!!

आँखें जहाँ तक देख पाती है और दिमाग जहाँ तक सोच पाता है ये दुनिया ये सृष्टि उससे कहीं आगे तक है। नवजात बच्चे के लिए उसकी दुनिया की परिभाषा अलग होती है उसके देखने का सीमित दायरा रहता है, ऐसे ही जवानी से लेकर बुढ़ापे तक सबका अपना-अपना देखने, सोचने-समझने का सीमित दायरा रहता है. लेकिन इसका मतलब यह …

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व्यक्तिगत अनुभव!!

गर्मी का दिन था।जंगल में एक लकड़बग्घा प्यास से तड़प रहा था ,साथ ही साथ वो पानी के तलाश में जंगल में इधर उधर भटक रहा था।तभी घूमते हुए उसे एक नदी दिखाई पड़ी।दूर से देखने पर नदी में पानी कम लग रहा था फ़िरभी उसने दौड़कर जल्दी से अपनी प्यास बुझाई।भरपेट पानी पीने के बाद लकड़बग्घा मानो तृप्त हो …

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अलीबाबा चालिस चोर की कहानी!!

सालों पहले फारस देश में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे। पिता की मृत्यु के बाद से दोनों भाई मिलकर अपने पिता का व्यापार संभालते थे। बड़ा भाई कासिम बहुत लालची था। उसने धोखे से पूरा व्यापार हथिया कर अलीबाबा को घर से निकाल दिया। इसके बाद अलीबाबा किसी बस्ती में जाकर अपनी पत्नी के साथ झोपड़ी …

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पालतू भालू !!

किसी शहर में एक बनिया रहता था। वह ज़मींदार का कारिन्दा था । असामियों से रुपया वसूल करना उसका काम था। एक दिन वह असामियों से रुपये वसूल करके घर चला। रास्ते में एक नदी पड़ती थी। लेकिन मल्‍लाह अपना अपना खाना बना रहे थे। कोई उस पार ले जाने पर राजी न हुआ । वहां से थोड़ी ही दूर …

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लाल बहादुर शास्त्री की सादगी!!

लाल बहादुर शास्त्री जी अपनी सादगी और देशसेवा की भावना के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार की बात है, तब शास्त्रीजी केंद्रीय मंत्री थे। उस समय के प्रधानमंत्री नेहरूजी उन्हें किसी जरूरी काम से कश्मीर भेजना चाहते थे। लेकिन शास्त्रीजी ने उन्हें कहा कि किसी और को उनकी जगह भेज दिया जाय। नेहरूजी ने उनसे इसका कारण पूछा। उन्होंने बड़ी …

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कुसंग का फल!!

गंगा तट पर एक विशाल पाकड़ का वृक्ष था। उस पर सैंकड़ों पक्षी मिलजुलकर रहते थे। उसी वृक्ष पर एक वृद्ध गीद्ध भी रहता था। उम्र की अधिकता ने उसकी दृष्टि छीन ली थी। जिस कारण वह कहीं आने जाने और भोजन की व्यवस्था करने में असमर्थ था। पेड़ पर रहने वाले सभी पक्षी अपने भोजन से कुछ हिस्सा उसे …

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एकाग्रता की ताकत!!

इंग्लैंड की राजपरम्परा में अनेक यशस्वी और प्रतिभाशाली शासक हुए हैं। जिनके नाम आज भी आदर और सम्मान के साथ लिए जाते हैं। उन्हीं में से एक राजा अल्फ्रेड का नाम भी इंग्लैंड के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। अल्फ्रेड का शासनकाल जनता की भलाई के लिए किए गए कार्यों के लिए जाना जाता है। परंतु उनका जीवन प्रारम्भ …

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ध्रुव तारे की कहानी!!

ब्रह्माजी के मानस पुत्र स्वयंभू  के दो पुत्र थे – प्रियवद और उत्तानपाद. राजा उत्तानपाद ने दो विवाह किये. उनकी पहली पत्नि का नाम सुनीति था और दूसरी का नाम सुरुचि. दोनों रानियों से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव रखा गया और सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम. उत्तानपाद दोनों राजकुमारों के प्रति …

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