1966 में हनुमान गढ़ी में लिखी गईं श्री हनुमान चालीसा जो की शुद्ध रूप से वैसी ही है जैसी पूज्य गुरुदेव ने संपादित की है… पूज्य गुरुदेव की ये..
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लाड़ली के चरण कोमल माखन से भी प्यारें
लाड़ली के चरण कोमल माखन से भी प्यारेंइनकी देखें शरण बीते जीवन इन्हीं के सहारे ललिता के जीवन विशाखा के प्राण तुंगविद्या चित्रा करें जिनका ध्यान,चम्पकलता इन्दुलेखा रटे सुदेवी रंगदेवी करें जिनका गान,सों तों नंद नंदन मनमोहन के नयनों कें तारें , दउ कोर चरण महावर रचें इन में स्वर्ण के नूपूर सजें,सखिन मंजरी को सेवित सदा रसिक जन जिन्हें …
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