कान्यकुब्ज देश के राजा कौशिक एक दिन अपने दल-बल समेत आखेट के लिए वन की ओर गए। लौटते समय वशिष्ट ऋषि के आश्रम में कौशिक का ठहरना हुआ। राजा और उनकी विशाल सेना की वशिष्ठ ने भरपूर आवभगत की। कौशिक को आश्चर्य हुआ कि इन घने जंगल में एक त्यागी- तपस्वी ऋषि के पास इतने साधन कहां से आए। पूछने …
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जनमेजय का “सर्प मेघ यज्ञ
एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं बहुत सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे तक्षक नाग के काटने से परीक्षित की मृत्यु हो जाती है। जब राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय (पांडव वंश के …
Read More »ऐसे मिलेगी मानसिक शांति
बहुत समय पहले की बात है। धार्मिक विचारों वाले एक राजा के पास कोई संत मिलने आए राजा प्रसन्न हो गया। भाव विभोर और आंखों में खुशी के आंसू के साथ राजा बोले, ‘मेरी इच्छा है कि आज आपके मन की कोई भी मुराद मैं पूरी करूं। बताइए आपको क्या उपहार चाहिए।’ संत असमंजस में पढ़ गए। उन्होंने कहा, ‘आप …
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