नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है. दीपक अँधेरे का भक्षण करता है इसीलिए काला धुआ बनाता है. इसी प्रकार हम जिस प्रकार का अन्न खाते है. माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न …
Read More »Tag Archives: Deepak
साईं शरण में आओगे तो समझोगे यह बात
साईं शरण में आओगे तो समझोगे यह बात, रात के पीछे दिन आवे है, दिन के पीछे रात । कौन खिलाये फूल चमन में, क्यों मुरझाए फूल की पाती, क्यों चमके है बन में दीपक, कौन बुझाए जलती बाती । साईं शरण में आओगे… कौन बिछाए सुख का बिस्तर कौन ओढ़ाए दुःख की चादर, क्यों होवे पत्थर की पूजा, कौन …
Read More »दूसरा दीपक
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा …
Read More »श्रीकृष्ण और भावी जगत
मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । किस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न – भिन्न मार्गों से चले । किसी …
Read More »बेक बिहारी मुझको देना सहारा
कही छूट जाएना धमान तुमारा तेरे सिवा दिल मे, समाए ना कोइ…2 लगान का ये दीपक, भुजाए ना कोई तुमि मेरी कास्ती, तुमि हू किनारा कही छूट जाएना धमान तुमारा तेरे नाम का गीत, गाथा राहु मई..2 सूभ श्याम तुजुको, रज़ता राहु मी तेरे नाम मुजकू है, प्राण नऊस प्यारा..2 कही छूट जाएना धमान तुमारा तेरे रास थे से, हटती …
Read More »प्रभु जी ! तुम चंदन हम पानी
जाकी अंग-अंग बाज़ सामानी प्रभु जी ! तुम धनवान हम मुरा जैसे चितवाट चंद्रा चकोरा प्रभु जी ! तुम . हम बाटी जाकी ज्योत बारे दिन राती प्रभु जी ! तुम मोटी हम धागा जैसे सोने मे मिलत सुहागा प्रभु जी ! तुम स्वामी हम दासा ऐसी भक्ति कर रे डासा प्रभु जी ! तुम चंदन हम पानी ज़की अंग-अंग …
Read More »मैया तेरा बना रहे दरबार
मैया तेरा बना रहे दरबार बना रहे दरबार मैया तेरा तेरे पावन दर पे आके मैया हो सबका उद्धार मैया बना रहे दरबार प्रेम का दीपक ज्ञान की बाती मन मन्दिर में जले दिन राती मैया मिट जाये अंधकार मैया बना रहे दरबार गहरी नदिया, नाव पुरानी जीवन की यह अथक कहानी तू ही खेवनहार मैया बना रहे दरबार जो …
Read More »दूसरा दीपक
एक बार की बात है , मगध साम्राज्य के सेनापति किसी व्यक्तिगत काम से चाणक्य से मिलने पाटलिपुत्र पहुंचे । शाम ढल चुकी थी , चाणक्य गंगा तट पर अपनी कुटिया में, दीपक के प्रकाश में कुछ लिख रहे थे। कुछ देर बाद जब सेनापति भीतर दाखिल हुए, उनके प्रवेश करते ही चाणक्य ने सेवक को आवाज़ लगायी और कहा …
Read More »निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहेंगे। (keep moving forward)
हिन्दू धर्म में दीपक को अग्नि देव का स्वरूप माना गया है। अग्नि देव की उपस्थिति से नकारात्मक उर्जा एवं बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। आत्मा प्रकाशित होती है और सात्विक गुणों में वृद्धि होती है। उपनिषद् में लिखा है कि तमसो मा ज्योतिर्गमय इसका अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो। प्रकाश नूतनता और नवीनता का सूचक है। …
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