उसी मेघङ्कर नगरमें कोई श्रेष्ठ ब्राह्मण थे , जो ब्रह्मचर्यपरायण , ममता और अहंकारसे रहित , वेद – शास्त्रोंमें प्रवीण , जितेन्द्रिय तथा भगवान् वासुदेवके शरणागत थे । उनका नाम सुनन्द था । प्रिये ! वे शार्ङ्गधनुष धारण करनेवाले भगवान्के पास गीताके ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोगका पाठ किया करते थे । उस अध्यायके प्रभावसे उन्हें ब्रह्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी । …
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आठवें अध्याय का माहात्म्य
पार्वती ! अब मैं आदरपूर्वक आठवें अध्यायके माहात्म्यका वर्णन करूँगा , तुम स्थिर होकर सुनो । नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है । वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे ,
Read More »श्रीमद्भागवद्गीता : माहात्म्य 06 अध्याय
श्रीभगवान् कहते हैं– सुमुखि ! अब मैं छठे अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुननेवाले मनुष्यों के लिये मुक्ति करतलगत हो जाती है। गोदावरी नदीके तटपर प्रतिष्ठानपुर (पैठण) नामक एक विशाल नगर है, जहाँ मैं पिप्पलेश के नाम से विख्यात होकर रहता हूँ। उस नगर में जानश्रुति नामक एक राजा रहते थे, जो भूमण्डल की प्रजा को अत्यन्त प्रिय थे। …
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गीता महात्म्य : चौथा अध्याय का महात्म्य लक्ष्मीजी ने पूछा हे स्वामी! श्री गीताजी के पाठ करने वाले को छूकर भी कोई जीव मुक्ति हुआ है? तब श्री नारायणजी ने कहा हे लक्ष्मी! तुम्हे मुक्ति की एक पुरातन कथा सुनाता हूं। गंगाजी के तट पर एक काशीपुर नाम का एक नगर है। वहां एक वैष्णव रहता था। वह नित्य गंगा …
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श्रीमद्भगवद्गीता तीसरे अध्याय के पाठ का महत्व श्री नारायण बोले- हे लक्ष्मी एक महामूर्ख व्यक्ति अकेला ही एक वन में रहता था, गलत कार्यों से उसने बहुत सा धन इकट्ठा किया। किसी कारण से वह सब धन जाता रहा। अब वह व्यक्ति बहुत चिंतित रहने लगा। किसी से पूछता कि ऐसा उपाय बताओं जिससे पृथ्वी में गड़ा धन मुझे मिले। …
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गीता के दूसरे अध्याय का महत्व श्री नारायण जी बोले-हे लक्ष्मी! दक्षिण देश में एक पूर्ण नाम नगर था। वहां एक देव सुशर्मा बड़ा धनवान रहता था, वह साधु सेवा करता था। जब साधु सेवा करते हुए बहुत दिन बीते, तब एक बाल नाम ब्रह्मचारी आया। जिसकी सुशर्मा ने बहुत सेवा की और विनय किया कि हे संतजी! कृपा मुझे …
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एक समय पार्वती जी ने पूछा है महादेव जी किस ज्ञान के बल पर संसार के सब लोग आपको शिव कहकर पूजते हैं। मृगछाला ओढ़े और अपने सभी अंगों में शमशान की विभूति लगाएं, गले में सर्प और नर मुंडों की माला पहने हुए हो। इनमें तो कोई भी पवित्र नहीं, फिर आप किस ज्ञान से पवित्र माने जाते हैं? …
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