ज्ञान ही एक ऐसा तत्त्व है जो कहीं भी , किसी अवस्था और किसी काल में भी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति ज्ञान है। बिना ज्ञान के व्यक्ति अपने जीवन में सफलता नहीं पा सकता। इसलिए हर व्यक्ति के पास ज्ञान होना ज़रूरी है। बिना ज्ञान के व्यक्ति का जीवन निरर्थक है। दुनिया में कुछ …
Read More »Tag Archives: Gyaan
जानिए जैन धर्म को (Know the Jainism)
पुराने समय में तप और मेहनत से ज्ञान प्राप्त करने वालों को श्रमण कहा जाता था। जैन धर्म प्राचीन भारतीय श्रमण परम्परा से ही निकला धर्म है। ऐसे भिक्षु या साधु, जो जैन धर्म के पांच महाव्रतों का पालन करते हों, को ‘जिन’ कहा गया। हिंसा, झूठ, चोरी, ब्रह्मचर्य और सांसारिक चीजों से दूर रहना इन महाव्रतों में शामिल हैं। …
Read More »चाणक्य नीति: सातवां ध्याय (chanakya niti:seventh chapter)
एक बुद्धिमान व्यक्ति को निम्नलिखित बातें किसी को नहीं बतानी चाहिए .. १. की उसकी दौलत खो चुकी है. २. उसे क्रोध आ गया है. ३. उसकी पत्नी ने जो गलत व्यवहार किया. ४. लोगो ने उसे जो गालिया दी. ५. वह किस प्रकार बेइज्जत हुआ है. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और …
Read More »चाणक्य नीति : प्रथम अध्याय (Chanakya Niti: The First Chapter)
१. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ। 2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का …
Read More »हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान
हे हनुमान बहू बलवान, भक्ति ज्ञान वराग्य की खान |संकट मोचन तू कहलाये | राम बिना तुझे कुछ ना भाये | तेरा द्वार जो भी खटकाये, बिन कुछ पाए घर नहीं जाए || दुर्बल को बलवान बनाये | हर संकट पल मे टल जाए | तेरा गान करे जो कोई, उसे ना कोई विपदा होई || हर मुश्किल आसन तू …
Read More »वन्दे सन्तं हनुमन्तं
वन्दे सन्तं हनुमन्तं। राम भक्तं बलवन्तं॥ ज्ञान पण्डित, अन्जनतन्यं। पावना पुत्र, भकरतेजं॥ वायुदेवं वानरवीरं। सचिदनदं प्रानदेवं॥ रामभक्तं बलवन्तं। वन्दे सन्तं हनुमन्तं॥ वायुदेवं वानरवीरं। त्रिनिदादें प्रानदेवं, सचिदनदं प्रानदेवं॥ जै पवनसुत्त रामदूत की जै॥ wish4me to English vande santan hanumantan. raam bhaktan balavantan. gyaan pandit, anjanatanyan. paavana putr, bhakaratejan. vaayudevan vaanaraveeran. sachidanadan praanadevan. raamabhaktan balavantan. vande santan hanumantan. vaayudevan vaanaraveeran. trinidaaden praanadevan, …
Read More »सत् – असत् का ज्ञान
सत् – असत् का विवेक मनुष्य अगर अपने शरीर पर करता है तो वह साधक होता है और संसार पर करता है तो विद्वान होता है । अपने को अलग रखते हुए संसार में सत् – असत् का विवेक करने वाला मनुष्य वाचक (सीखा हुआ) ज्ञानी तो बन जाता है, पर उसको अनुभव नहीं हो सकता । परंतु अपनी देह …
Read More »औढरदानी भगवान शिव
भगवान शिव और उनका नाम समस्त मंगलों का मूल है । वे कल्याण की जन्मभूमि, परम कल्याणमय तथा शांति के आगार हैं । वेद तथा आगमों में भगवान शिव को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है । समस्त विद्याओं के मूल स्थान भी भगवान शिव ही हैं । उनका यह दिव्यज्ञान स्वत:संभूत है । ज्ञान, बल, इच्छा और क्रिया – शक्ति …
Read More »गायत्री मंत्र की सबसे अधिक मान्यता क्यों ?
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार गायत्री मंत्र के प्रथम अक्षर में सफलता, दूसरे में पुरुषार्थ, तीसरे में पालन, चौथे में कल्याण, पांचवें में योग, छठे में प्रेम, सातवें में लक्ष्मी, आठवें में तेजस्विता, नवें में सुरक्षा, दसवें में बुद्धि, ग्यारहवें में दमन, बारहवें में निष्ठा, तेरहवें में धारणा, चौदहवें में प्राण, पंद्रहवें में संयम, सोलहवें में तप, सत्रहवें में दूरदर्शिता, अठारहवें …
Read More »राम भजा सो जीता जग में
राम भजा सो जीता जग में राम भजा सो जीता रे हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता रे हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं तेने, बातों में दिन बीता रे ज्ञान देव की पूजा कीन्ही, हरि सो किया न प्रीता रे धन यौवन यूँ ही जायेगा, अंत समय में रीता रे कहे कबीर काल यूँ मारे जैसे हिरन को चीता रे …
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