चरण कमल तेरे धोए धोए पीवां मेरे सतगुरु दीन दयाला कुर्बान जाऊं उस वेला सुहावा जित तुम्हरे द्वारे आया चरण कमल तेरे धोए धोए पीवां मेरे सतगुरु दीन दयाला पार ब्रह्मा परमेश्वर सतगुरु आपे कर नेहारा चरण कमल तेरे धोए धोए पीवां मेरे सतगुरु दीन दयाला चरण धूल तेरे सेवक मांगे तेरे दर्शन को बलेहारा चरण कमल तेरे धोए धोए …
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भक्त का अद्भुत अवदान
कीच से जैसे कमल उत्पन्न होताहै, वैसे ही असुर – जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटी का भक्त था । बचपन से ही गय का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता …
Read More »गरुड, सुदर्शनचक्र और श्रीकृष्ण की रानियों का गर्व – भंग
एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गरुड को यक्षराज कुबेर के सरोवर से सौगंधित कमल लाने का आदेश दिया । गरुड को यह अहंकार था कि मेरे समान बलवान तथा तीव्रगामी प्राणी इस त्रिलोकी में दूसरा कोई नहीं है । वे अपने पंखों से हवा को चीरते हुए तथा दिशाओं को प्रतिध्वनित करते हुए गंध मादन पर्वत पर पहुंचे और पुष्पों …
Read More »भक्त का अद्भुत अवदान
कीचड़ से जैसे कमल उत्पन्न होता है, वैसे ही असुर जाति में भी कुछ भक्त उत्पन्न हो जाते हैं । भक्तराज प्रह्लाद का नाम प्रसिद्ध है । गयासुर भी इसी कोटिका भक्त था । बचपन से ही गया का हृदय भगवान विष्णु के प्रेम में ओतप्रोत रहता था । उसके मुख से प्रतिक्षण भगवान के नाम का उच्चारण होता रहता …
Read More »परम शैव भगवान विष्णु की शिवोपासना
समय के परिवर्तन से कभी तो देवता बलवान हो जाते हैं और कभी दानव। एक बार दानवों की शक्ति बहुत अधिक हो गयी और वे देवों को बहुत अधिक कष्ट पहुंचाने लगे। देवता बहुत संत्रस्त और संतप्त हुए। इसलिए अपने दु:खों की निवृत्ति के लिए भगवान विष्णु के समीप गए और उनकी स्तुति करने लगे। स्तुति से प्रसन्न होकर विष्णु …
Read More »कमल लोचन कटि पीताम्बर
कमल लोचन कटि पीताम्बर, अधर मुरली गिरिधरम् मुकुट कुंडल कर लकुटिया, सांवरे राधे वरम् । कूल यमुना धेनु आगे, सकल गोपिन मन हरम् पीत वस्त्र गरुड़ वाहन,चरण नित सुख सागरम् ।। वंशीधर वसुदेव छलिया, बलि छल्यो हरि वामनम् डूबते गज राख लीन्हों, लंका छेड्यो रावणम् ।। दीनानाथ दयालु सिन्धु, करुणामय करुणाकरम् कविदत्त दास विलास निशदिन, नाम जप नित नागरम् ।। …
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