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Tag Archives: Mahabharata

कुंती का त्याग

पाण्डव अपनी मां कुंती के साथ इधर से उधर भ्रमण कर रहे थे| वे ब्राह्मणों का वेश धारण किए हुए थे| भिक्षा मांगकर खाते थे और रात में वृक्ष के नीचे सो जाया करते थे| भाग्य और समय की यह कैसी अद्भुत लीला है| जो पांडव हस्तिनापुर राज्य के भागीदार हैं और जो सारे जगत को अपनी मुट्ठी में करने …

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गीता जी के तेरहँवे अध्याय का माहात्म्य

shrimad-geeta

श्री नारायण जी बोले हे लक्ष्मी ! अब तेरहँवे अद्याय का महात्मय सुनो। दक्षिण देश में हरी नमक नगर था ,वहां एक व्यभिचारिणी स्त्री रहती थी। एक दिन एक पुरुष को उसने वचन दिया की ,मैं अमुक स्थान में तेरे पास आऊँगी ,तुम वहां चलो। वह पुरुष किसी और वन में चला गया और स्त्री ढूंढती - ढूंढती हैरान हो गयीपैर वह पुरुष न मिला।

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महाभारत की कहानी: द्रोपदी का चीर हरण!!

महाभारत ऐसा महाकाव्य है, जिसमें कई छोटी-बड़ी शिक्षाप्रद घटनाओं का जिक्र है। द्रौपदी चीरहरण भी महाभारत की ऐसी ही घटना है। द्रौपदी पांचाल देश की राजकुमारी थी और उसका विवाह अर्जुन से हुआ था। अर्जुन ने द्रौपदी के स्वयंवर में मछली की आंख में निशाना साधकर उससे विवाह किया था, लेकिन माता कुंती के अंजाने में दिए एक आदेश से …

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#महाभारत

#महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी …. ! गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में #द्वापर का सबसे महान योद्धा “#देवव्रत” …

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जटायु और भीष्म पितामह

भाग्य भरोसे

जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले… तो काल आया और जैसे ही काल आया … तो गीधराज जटायु ने मौत को ललकार कहा, — “खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना… मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा… लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकता… जब तक मैं सीता जी की सुधि प्रभु …

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अन्न की महिमा

अन्न की महिमा

यह एक आम कहावत है   जिसका प्रयोग लगभग सभी ने कभी न कभी ज़रूर किया होगा ।   कहते है कि जैसा अन्न वैसा मन ======================= हम जो कुछ भी खाते है वैसा ही हमारा मन बन जाता है, अन्न चरित्र निर्माण करता है। इसलिए हम क्या खा रहे है। इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति से हम जो …

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गुरु द्रौण का पुत्र मोह

द्रौण को अपने पुत्र अश्वत्थामा से बहुत प्यार था। शिक्षा में भी अन्य छात्रों से भेदभाव करते थे। जब उन्हें सभी कौरव और पांडव राजकुमारों को चक्रव्यूह की रचना और उसे तोडऩे के तरीके सिखाने थे, उन्होंने शर्त रखी की जो राजकुमार नदी से घड़ा भरकर सबसे पहले पहुंचेगा, उसे ही चक्रव्यूह की रचना सिखाई जाएगी। सभी राजकुमारों को बड़े …

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