शहर के बाहरी हिस्से में मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करने वाले एक सेल्स मैनेजर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते थे। वह रोज सुबह काम पर निकल जाते और देर शाम को घर लौटते। एक बार कुछ चोरों ने मैनेजर के घर में चोरी करने का मन बनाया। चोरी करने के दो-चार दिन पहले से ही वे …
Read More »Tag Archives: morning
आदमकद
सूरज को पुलिस महकमे में आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था. उस ने एक महीने पहले ही थाने का चार्ज लिया था. एक दिन की बात है. सूरज तैयार हो रहा था. आज वह बहुत ही जल्दी में था, क्योंकि मंत्रीजी आ रहे थे. उसे ठीक 11 बजे सर्किट हाउस पहुंचना था. वहीं मंत्रीजी जिले के सभी अफसरों की …
Read More »अनोखी तरकीब
बहुत पुरानी बात है। एक अमीर व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी। बहुत तलाश करने के बावजूद सामान न मिला और न ही चोर का पता चला। तब अमीर व्यापारी शहर के काजी के पास पहुँचा और चोरी के बारे में बताया। सबकुछ सुनने के बाद काजी ने व्यापारी के सारे नौकरों और मित्रों को बुलाया। जब सब सामने पहुँच …
Read More »ईमानदारी पर कहानी
रामू काका अपनी ईमानदारी और नेक स्वाभाव के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द थे। एक बार उन्होंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर आमंत्रित किया। वे अक्सर इस तरह इकठ्ठा हुआ करते और साथ मिलकर अपनी पसंद का भोजन बनाते। आज भी सभी मित्र बड़े उत्साह से एक दुसरे से मिले और बातों का दौर चलने लगा। जब बात खाने …
Read More »मरने से पहले जिंदगी से रू-ब-रू
करीब सौ साल पहले की बात है। एक आदमी सुबह सोकर उठा। उसने अखबार उठाया और रोज के मुताबिक खबरों में झांकने लगा। अचानक एक जगह वह चौंक उठा और उसने आंखे मसलकर दोबारा देखा। एक दम ठीक छपा था। स्मृति शेष कॉलम में उसे श्रद्धांजलि दी गई थी। खबर गलती से प्रकाशित थी, पर थी। उसे बहुत धक्का लगा …
Read More »गोरा राम, काला राम
एक समय की बात है एक गुरु के २ शिष्य थे एक का नाम (गोरा राम) और दूसरे का नाम (काला राम) था, गुरु जी का ज्यादा लगाव (काले राम) के साथ था और गुरु जी उसको ज्यादा अहमियत देते थे, एक दिन एक शख्स ने उनसे से पूछा गुरु जी आप (गोरे) से ज्यादा (काले) को तवज्जो क्यूँ देते …
Read More »नई सोच नई दिशा
एक घर के करीब से गुज़र रहा था अचानक मुझे घर के अंदर से एक दस साल के बच्चे की रोने की आवाज़ आई आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर बच्चा क्यों रो रहा है यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका – अंदर जा कर मैने देखा कि माँ अपने बेटे को धीरे …
Read More »खोटे सिक्के भी हो जाते हैं अमर
निजामुद्दीन औलिया के एक शिष्य थे, उन्हीं की तरह त्याग और सादगी भी उन्हें पसंद थी। वे सब्जी उबाल कर बेचते थे और अपनी जीविका चलाते थे। गांव वाले श्रद्धावश सस्ती सब्जियां दे जाते और उन्हें वे उबाल कर ग्राहकों को खिलाते और थोड़ा बहुत धन अर्जित करते। इसके साथ ही सुबह-शाम प्रवचन भी करते। लेकिन लोग उन्हें खोटे सिक्के …
Read More »