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Monthly Archives: July 2017

दुकानदार ने बच्चे को चार सीपों में महंगी गुड़िया दे दी, जानिए क्यों

दुकानदार ने बच्चे को चार सीपों में महंगी गुड़िया दे दी, जानिए क्यों

6 वर्ष का एक लड़का अपनी 4 वर्ष की छोटी बहन के साथ छोटे बाजार से जा रहा था। अचानक उसे लगा कि, उसकी बहन पीछे रह गई है। वह रुका, पीछे मुड़कर देखा, तो उसकी बहन एक खिलौने की दुकान के सामने खडी़ कोई चीज निहार रही है। लड़का पीछे आता है और बहन से पूछता है, “कुछ चाहिए …

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जब तक शर्म नहीं आएगी तब तक सीखूंगा

  यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन स्वयं अफलातून खुद को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे। वे हमेशा कुछ न कुछ नई बात सीखने को उत्सुक रहते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके पास दुनिया के …

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ऐसा हुआ तो जीवन की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी

ऐसा हुआ तो जीवन की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी

बात करते हैं उन इलाकों की जहां अमूमन जबर्दस्त तूफान आया करते हैं। ऐसे ही एक तूफान में पानी के तेज बहाव से एक बड़ा पत्थर टूट कर सड़क के बीचों-बीच आ गिरा। तभी एक व्यक्ति वहां आया, जहां पत्थर गिरा था, वहां वह रुक गया और किसी के आने की प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर बाद एक दूसरा व्यक्ति …

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आनन-फानन में शुरू करने के बजाय सही दिशा में बढ़ें

नए साल के जश्न में शामिल होने लंबे-चौड़े कद वाला एक कलाकार अपना सामान और संगीत वाद्य लेकर रेलवे स्टेशन पर उतरा। उसने टैक्सी वाले को इशारे से बुलाया और कहा – ‘सैंड होटल ले चलो।’ टैक्सी वाले ने कहा, ‘सौ रुपए लगेंगे।’ वह व्यक्ति शहर में नया आया था, लेकिन उसे यह पता था कि यह होटल स्टेशन से …

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रानी लक्ष्मीबाई ने किसे दिया था करारा जबाव

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बेबाक अपनी बात रखती थीं। एक बार वह एक कथावाचक के यहां पहुंची। उस समय वहां कथा चल रही थी। वह बाल विधवा होने के बावजूद कांच की चूड़ियों की बजाए सोने की चूड़ियां पहने हुईं थीं। उनके हाथों में चूड़ियों को देख, पंडित जी व्यंगात्मक लहजे में कहा, घोर कलयुग है। धर्म-कर्म की सारी मर्यादाएं …

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मरने के बाद धन नहीं, बल्कि याद किया जाता है यह

मरने के बाद धन नहीं, बल्कि याद किया जाता है यह

संत इब्राहिम की ईमानदारी के चर्चे उन दिनों हर किसी की जुबां पर थे। लोग इब्राहिम के पास अपनी तमाम समस्याएं लेकर आते और उनका निराकरण कर वापिस घर लौट जाते थे। एक दिन एक व्यक्ति संत के पास आया और उन्हें बहुत सारा धन दान देने की इच्छा जाहिर की। लेकिन संत को उस व्यक्ति के व्यवहार में अहंकार …

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खोटे सिक्के भी हो जाते हैं अमर

निजामुद्दीन औलिया के एक शिष्य थे, उन्हीं की तरह त्याग और सादगी भी उन्हें पसंद थी। वे सब्जी उबाल कर बेचते थे और अपनी जीविका चलाते थे। गांव वाले श्रद्धावश सस्ती सब्जियां दे जाते और उन्हें वे उबाल कर ग्राहकों को खिलाते और थोड़ा बहुत धन अर्जित करते। इसके साथ ही सुबह-शाम प्रवचन भी करते। लेकिन लोग उन्हें खोटे सिक्के …

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संगीत के सुर और भक्ति के भाव

जैसा आचरण वैसा व्यवहार

संत ज्ञानेश्वर प्रतिदिन संध्या को स्वरचित भजन गाया करते थे, जिनको सुनने के लिए दूर-दूर से बहुत लोग आया करते थे। उसी सभी में एक गायक भी आया करता था। एक दिन गायक ने संत ज्ञानेश्वर से कहा, आप बहुत गलत गाते हैं। राग और सुरों का आपको बिल्कुल भी ज्ञान नहीं, बेसुरे संगीत से मुझे बहुत कष्ट होता है। …

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इन्होंने असफलता से चखा सफलता का स्वाद

जिंदगी बहुत कुछ कहती है। जरूरत है बस जिंदगी के हर पहलू पर गौर करने की। कुछ लोग इस जिंदगी से न हारते हुए कुछ ऐसा करते हैं जो हमेशा के लिए यादगार और प्रेरक बन जाता है। यहां पर कुछ ऐसे ही चर्चित हस्तियों के बारे में संक्षिप्त में उल्लेख है जिन्होंने पहले असफलता का स्वाद चखा और बाद …

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तो क्या ऐसी होती है ‘विद्या की रेखा’

बहुत पुरानी बात है। एक बार एक बालक को उसके पिताजी ने गुरुकुल में अध्ययन के लिए भेजा। उस बालक ने गुरुकुल में विद्या अध्ययन करने लगा। तभी एक दिन गुरुजी ने उस बच्चे को एक सबक याद करने के लिए दिया। लेकिन वह बहुत कोशिश करने के बाद भी सबक याद न कर सका। तब गुरुजी को गुस्सा आ …

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