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श्रीमद्भगवद्गीताके बारहवें अध्यायका माहात्म्य

श्रीमहादेवजी कहते हैं – पार्वती ! दक्षिण दिशामें कोल्हापुर नामका एक नगर है , जो सब प्रकारके सुखोंका आधार , सिद्ध – महात्माओंका निवासस्थान तथा सिद्धि – प्राप्तिका क्षेत्र है । वह पराशक्ति भगवती लक्ष्मीका प्रधान पीठ है । सम्पूर्ण देवता उसका सेवन करते हैं । वह पुराणप्रसिद्ध तीर्थ भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है । वहाँ करोड़ों तीर्थ और शिवलिङ्ग …

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किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था?

क्या सच में किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था ,,,,,,राम जी ने कभी सीता से नही कहा की तुम वनवास चली जाओ ,पति की व्याकुलता राजा का कर्तव्य प्रजा की कहा सुनी इन सब में राम जी कही अंदर ही अंदर पीस रहे थे ,उन्हे राजा का कर्तव्य भी निभाना था और …

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श्रीमद्भगवद्गीता के एकादश अध्याय का माहात्म्य

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उसी मेघङ्कर नगरमें कोई श्रेष्ठ ब्राह्मण थे , जो ब्रह्मचर्यपरायण , ममता और अहंकारसे रहित , वेद – शास्त्रोंमें प्रवीण , जितेन्द्रिय तथा भगवान् वासुदेवके शरणागत थे । उनका नाम सुनन्द था । प्रिये ! वे शार्ङ्गधनुष धारण करनेवाले भगवान्के पास गीताके ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोगका पाठ किया करते थे । उस अध्यायके प्रभावसे उन्हें ब्रह्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी । …

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गीता के दसवें अध्याय का माहात्म्य

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अब तुम दशम अध्यायके माहात्म्यकी परमपावन कथा सुनो , जो स्वर्गरूपी दुर्गमें जानेके लिये सुन्दर सोपान और प्रभावकी चरम सीमा है । काशीपुरीमें धीरबुद्धि नामसे विख्यात एक ब्राह्मण था , जो मुझमें प्रिय नन्दीके समान भक्ति रखता था । वह पावन कीर्तिके अर्जनमें तत्पर रहनेवाला , शान्तचित्त और हिंसा , कठोरता एवं दुःसाहससे दूर रहनेवाला था ।

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मन की सकारात्मक सीमाबहुत

समय पहले की बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था . वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था .अपने अच्छे व्यवहार के कारण दूर -दूर तक उसे लोग जानते थे और उसकी प्रशंशा करते थे .पर एक दिन जब देर शाम वह खेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछ लोगों को …

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नौंवे अध्याय का माहात्म्य

देवि ! अब नौंवे अध्यायका माहात्म्य सुनो ! उसके सुननेसे तुम्हें बड़ी प्रसन्नता होगी । [ लक्ष्मीजीके पूछनेपर भगवान् विष्णुने उन्हें इस प्रकार नौंवे अध्यायका माहात्म्य बतलाया था । ] दक्षिणमें आमर्दकपुर नामक एक प्रसिद्ध नगर है । वहाँ भावशर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था , जिसने वेश्याको पत्नी बनाकर रखा था । वह मांस खाता , मदिरा पीता , …

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Shri Mahalaxmi Suprabhatam

श्रीमहालक्ष्मीसुप्रभातम् ॥ श्रीलक्ष्मि श्रीमहालक्ष्मि क्षीरसागरकन्यके उत्तिष्ठ हरिसम्प्रीते भक्तानां भाग्यदायिनि । उत्तिष्ठोत्तिष्ठ श्रीलक्ष्मि विष्णुवक्षस्थलालये उत्तिष्ठ करुणापूर्णे लोकानां शुभदायिनि ॥ १॥ श्रीपद्ममध्यवसिते वरपद्मनेत्रे श्रीपद्महस्तचिरपूजितपद्मपादे । श्रीपद्मजातजननि शुभपद्मवक्त्रे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ २॥ जाम्बूनदाभसमकान्तिविराजमाने तेजोस्वरूपिणि सुवर्णविभूषिताङ्गि । सौवर्णवस्त्रपरिवेष्टितदिव्यदेहे श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ३॥ सर्वार्थसिद्धिदे विष्णुमनोऽनुकूले सम्प्रार्थिताखिलजनावनदिव्यशीले । दारिद्र्यदुःखभयनाशिनि भक्तपाले श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम् ॥ ४॥ चन्द्रानुजे कमलकोमलगर्भजाते चन्द्रार्कवह्निनयने शुभचन्द्रवक्त्रे । हे …

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मन में किसी प्रकार का घमंड नहीं करना चाहिए

एक राजा, वह जब भी मंदिर जाता, तो 2 भिखारी उसके दाएं और बाएं बैठा करते।दाईं तरफ़ वाला कहता: “हे ईश्वर, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे.!”बाईं तरफ़ वाला कहता: “ऐ राजा.! ईश्वर ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे.!”दाईं तरफ़ वाला भिखारी बाईं तरफ़ वाले से कहता: ईश्वर से माँग …

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आठवें अध्याय का माहात्म्य

bhagwat-geeta

पार्वती ! अब मैं आदरपूर्वक आठवें अध्यायके माहात्म्यका वर्णन करूँगा , तुम स्थिर होकर सुनो । नर्मदाके तटपर माहिष्मती नामकी एक नगरी है । वहाँ माधव नामके एक ब्राह्मण रहते थे ,

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सातवें अध्याय का माहात्म्य

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भगवान शिव कहते हैं- “हे पार्वती ! अब मैं सातवें अध्याय का माहात्म्य बतलाता हूँ, जिसे सुनकर कानों में अमृत-राशि भर जाती है। पाटलिपुत्र नामक एक दुर्गम नगर है जिसका गोपुर (द्वार) बहुत ही ऊँचा है। उस नगर में शंकुकर्ण नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसने वैश्य वृत्ति का आश्रय लेकर बहुत धन कमाया किन्तु न तो कभी पितरों का तर्पण किया …

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