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vikkykyt@yahoo.com

क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।

जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ….जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक …

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“वृद्ध क्यों वृद्धआश्रम की ओर अग्रसर”

बरामदे में कुर्सी डालकर बैठे रामनारायण क्यारी में दाना चुगती चिड़ियों को देख रहे थे ! तभी घर के सामने मोटरसाइकिल रुकी ,गणेश आया था ! किसी को लेकर सुकेश उनका बेटा ?अचानक अपने बेटे को आया देख कर पुलकित रामनारायण बाँहे फैला खड़े हो गये !गणेश तो प्रणाम कर चला गया ! और सुकेशपिता का स्नेह आशीष पाने के …

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महाराणा सांगा।

इंजीनियरिंग कॉलेज में इतिहास पढ़ने वाले इतिहासकारों का सबसे बड़ा डायलॉग है- बाबर को महाराणा सांगा ने ही तो बुलाया था, फिर वे काहे का देशभक्त हुए?बाबर खुद बाबरनामा में लिखता है- मुझे भारत विजय की प्रेरणा अपने एक अमीर से मिली, जिसने कहा- “आगे बढिये और संसार के सर्वश्रेष्ठ देश पर अधिकार कर लीजिए। सिंधु के उस पार एक …

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मिठाई का डिब्बा

ऊंचे ओहदे के सरकारी अफसर के बंगले पर आज आने मिलने वालों की लाईन लगी थी सबके हाथ में मिठाई के डब्बों के साथ अलग से एक और डब्बा भी था । आज दीपावली का मिलन समारोह का अवसर जो था शहर के व्यापारी तोहफे के ज़रिए अपनी धौंस जमाने में लगे थे । तोहफे का डिपार्टमेंट सरकारी अफसर की …

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दिल का रिश्ता

दिल का रिश्ता” अरे…. सुनती हो “हां क्यों नहीं सुनूंगी.. बहरी थोड़े ही हो गई हूं माना.. बालों में सफेदी आ गई है, आंखों में चश्मा चढ़ गया पर सुनो जी ….. कान मेरे बराबर सुनते हैं, अच्छा बोलो क्याकह रहे थे “!!!” चलो थोड़ा बाजार की तरफ चलते हैं, तुम्हें कुछ सामान चाहिए था नलिस्ट बना ली कि बनानी …

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बिहारी जी किसी का उधार नही रखते

बिहारी जी किसी का उधार नही रखतेएक बार की बात है। वृन्दावन (Vrindawan Dham) में एक संत रहा करते थे। उनका नाम था कल्याण, वे बाँके बिहारी जी के परमभक्त थे। एक बार उनके पास एक सेठ आया, अब था तो सेठ…लेकिन कुछ समय से उसका व्यापार ठीक से नही चल रहा था।उसको व्यापार में बहुत नुकसान हो रहा था। …

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मैं निपट अज्ञानी हूं

मैं निपट अज्ञानी हूंमैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं। उनकी बड़ी जिद थी, बड़ा आग्रह था। ऐसे सूफी उन्हें टालता रहा, लेकिन एक सीमा आई कि टालना भी असंभव हो गया। सूफी को दया आने लगी, क्योंकि वे द्वार पर बैठी ही रहीं – भूखी और प्यासी; और उनकी प्रार्थना …

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बाहर की दुनिया

कवि गालिब को एक दफा बहादुरशाह ने भोजन का निमंत्रण दिया था। गालिब था गरीब आदमी। और अब तक ऐसी दुनिया नहीं बन सकी कि कवि के पास भी खाने-पीने को पैसा हो सके। अच्छे आदमी को रोजी जुटानी अभी भी बहुत मुश्किल है।गालिब तो गरीब आदमी थे। कविताएं लिखी थीं, ऊँची कविताएं लिखने से क्या होता है? कपड़े उसके …

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परमात्मा कहां है?

हसीद फकीर हुआ, बालसेन। उससे मिलने कुछ औरहसीद फकीर आए हुए थे। चर्चा चल पड़ी—— एक बड़ी दार्शनिक चर्चा ——परमात्मा कहां है?किसी ने कहा, पूरब में, क्योंकि पूरब से सूरज ऊगता है। और किसी ने कहा कि जेरूसलम में, क्योंकि यहूदी ही परमात्मा के चुने हुए लोग हैं, और परमात्मा ने ही मूसा के द्वारा यहूदियों को जेरूसलम तक पहुंचाया। …

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उड़े बिना जीवन में कोई गति नहीं है।

कुछ वर्ष पहले पहलगांव (कश्मीर) में एक घटना घटी, जो मुझे भूले नहीं भूलती। एक वृक्ष के नीचे बैठा था। ऊंचाई पर वृक्ष में छोटा—सा एक घोंसला था, और जो घटना उस घोंसले में घट रही थी उसे मैं देर तक देखता रहा, क्योंकि वही घटना शिष्य और गुरु के बीच घटती है। कुछ ही दिन पहले अंडा तोड़कर किसी …

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