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गीता जी के तेरहँवे अध्याय का माहात्म्य

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श्री नारायण जी बोले हे लक्ष्मी ! अब तेरहँवे अद्याय का महात्मय सुनो। दक्षिण देश में हरी नमक नगर था ,वहां एक व्यभिचारिणी स्त्री रहती थी। एक दिन एक पुरुष को उसने वचन दिया की ,मैं अमुक स्थान में तेरे पास आऊँगी ,तुम वहां चलो। वह पुरुष किसी और वन में चला गया और स्त्री ढूंढती - ढूंढती हैरान हो गयीपैर वह पुरुष न मिला।

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नैतिक शिक्षा का महत्त्व !!

आचार्य विनोबा भावे अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने विभिन्न धर्मों, मत-मतांतरों के साहित्य का अध्ययन किया था। बड़े-बड़े शिक्षाविद् ज्ञान का लाभ अर्जित करने उनके पास आया करते थे । विनोबाजी संस्कारों को सबसे बड़ी धरोहर मानते थे । एक बार महाराष्ट्र के किसी विश्वविद्यालय में उन्हें आमंत्रित किया गया। विनोबाजी वहाँ पहुँचे। उन्होंने प्राचार्य से बातचीत के दौरान …

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हरिनाम की महिमा !!

गुरु तेगबहादुरजी भक्ति और शक्ति के उपासक थे। उन्होंने 1675 में धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली में बलिदान देकर यह सिद्ध किया कि एक धर्मगुरु और कवि – साहित्यकार समय आने पर धर्म की रक्षा के लिए सिर भी कटा सकता है। बलिदान देने से पूर्व अनेक वर्षों तक गुरु तेगबहादुरजी ने देश का भ्रमण कर असंख्य लोगों को …

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सफलता केवल अपने हुनर और परिश्रम से नहीं मिल जाती

पिता ने बेटे से कहा, “तुमने बहुत अच्छे नंबरों से ग्रेजुएशन पूरी की है। अब क्यूंकि तुम नौकरी पाने के लिए प्रयास कर रहे हो , मैं तुमको यह कार उपहार स्वरुप भेंट करना चाहता हूँ , यह कार मैंने कई साल पहले हासिल की थी, यह बहुत पुरानी है। इसे कार डीलर के पास ले जाओ और उन्हें बताओ …

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भगवान को सिर्फ जीव्हा से नही हृदय से भजते

वीणा बजाते हुए नारदमुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे।नारायण नारायण !!नारदजी ने देखा कि द्वार पर हनुमान जी पहरा दे रहे है।फ🔹हनुमान जी ने पूछा: नारद मुनि ! कहाँ जा रहे हो ?🔻नारदजी बोले: मैं प्रभु से मिलने आया हूँ। नारदजी ने हनुमानजी से पूछा प्रभु इस समय क्या कर रहे है?🔹हनुमानजी बोले: पता नहीं पर कुछ बही खाते …

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श्रीमद्भगवद्गीताके बारहवें अध्यायका माहात्म्य

श्रीमहादेवजी कहते हैं – पार्वती ! दक्षिण दिशामें कोल्हापुर नामका एक नगर है , जो सब प्रकारके सुखोंका आधार , सिद्ध – महात्माओंका निवासस्थान तथा सिद्धि – प्राप्तिका क्षेत्र है । वह पराशक्ति भगवती लक्ष्मीका प्रधान पीठ है । सम्पूर्ण देवता उसका सेवन करते हैं । वह पुराणप्रसिद्ध तीर्थ भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाला है । वहाँ करोड़ों तीर्थ और शिवलिङ्ग …

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किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था?

क्या सच में किसी धोबी के कहने पर राम जी ने सीता जी को वनवास भेजा था ,,,,,,राम जी ने कभी सीता से नही कहा की तुम वनवास चली जाओ ,पति की व्याकुलता राजा का कर्तव्य प्रजा की कहा सुनी इन सब में राम जी कही अंदर ही अंदर पीस रहे थे ,उन्हे राजा का कर्तव्य भी निभाना था और …

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श्रीमद्भगवद्गीता के एकादश अध्याय का माहात्म्य

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उसी मेघङ्कर नगरमें कोई श्रेष्ठ ब्राह्मण थे , जो ब्रह्मचर्यपरायण , ममता और अहंकारसे रहित , वेद – शास्त्रोंमें प्रवीण , जितेन्द्रिय तथा भगवान् वासुदेवके शरणागत थे । उनका नाम सुनन्द था । प्रिये ! वे शार्ङ्गधनुष धारण करनेवाले भगवान्के पास गीताके ग्यारहवें अध्याय विश्वरूपदर्शनयोगका पाठ किया करते थे । उस अध्यायके प्रभावसे उन्हें ब्रह्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी । …

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गीता के दसवें अध्याय का माहात्म्य

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अब तुम दशम अध्यायके माहात्म्यकी परमपावन कथा सुनो , जो स्वर्गरूपी दुर्गमें जानेके लिये सुन्दर सोपान और प्रभावकी चरम सीमा है । काशीपुरीमें धीरबुद्धि नामसे विख्यात एक ब्राह्मण था , जो मुझमें प्रिय नन्दीके समान भक्ति रखता था । वह पावन कीर्तिके अर्जनमें तत्पर रहनेवाला , शान्तचित्त और हिंसा , कठोरता एवं दुःसाहससे दूर रहनेवाला था ।

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मन की सकारात्मक सीमाबहुत

समय पहले की बात है किसी गाँव में मोहन नाम का एक किसान रहता था . वह बड़ा मेहनती और ईमानदार था .अपने अच्छे व्यवहार के कारण दूर -दूर तक उसे लोग जानते थे और उसकी प्रशंशा करते थे .पर एक दिन जब देर शाम वह खेतों से काम कर लौट रहा था तभी रास्ते में उसने कुछ लोगों को …

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