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अनूठी करुणा !!
महर्षि च्यवन परोपकारी संत थे।वह कहा करते थे कि मूक जीवों के प्रति दया करना सर्वोपरि धर्म है । महर्षि अपने आश्रम में बैठकर स्वयं पक्षियों को दाना चुगाया करते थे।और गौ माता की सेवा किया करते थे।एक बार महर्षि नदी की गहराई में जल के भीतर बैठकर मंत्र जाप कर रहे थे। इतने में कुछ मछुआरे वहां आये। और …
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