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धन संचय की अधिकता जीवन मृत्यु का कारण बनती हैं !!

श्री कृष्ण एवम देवी रुकमणी ब्रह्माण भ्रमण पर निकले थे तभी उनकी नजर एक परिवार पर पड़ी उस परिवार के सभी सदस्य धन  संचय में लगे रहते थे दिन रात मेहनत कर पैसा भविष्य के लिए सुरक्षित कर देते थे यह देख देवी रुक्मणी उनकी प्रशंसा करती हैं जिसे सुन श्री कृष्ण मुस्कुराने लगे और कहते कि ये मुर्ख हैं  …

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दान का महत्व !!

एक बहुत प्रसिद्ध संत थे जिन्होंने समाज कल्याण के लिए एक मिशन शुरू किया |जिसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें तन मन धन तीनो की ही आवश्यक्ता थी| इस कार्य में उनके शिष्यों ने तन मन से भाग लिया और इन कार्य कर्ताओं ने धन के लिए दानियों को खोजना शुरू किया | एक दिन, एक शिष्य कलकत्ता पहुँचा | …

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मूर्तियों में नहीं इन्सानों में भगवान ढूंढ़ो !!

एक बार एक आदमी अपने 5 साल के बेटे को पहली बार मंदिर लेकर जाता है। जब वो  दोनों मंदिर पहुंचते हैं तो मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ अपंग और लाचार लोग बैठे होते हैं जिन्हें आते जाते कुछ लोग पैसे तो कुछ लोग खाना दे देते हैं और ज्यादातर लोग उन्हें अनदेखा करके आगे बढ़ जाते हैं।   बच्चा जब …

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एक कायर आदमी की कहानी !!

100 साल पहले की यह कहानी है। एक गांव में एक आदमी रहा करता था उसकी हरकतो और उसके स्वभाव के कारण गांव वालों ने उसे कायर का नाम दिया हुआ था। कोई भी व्यक्ति उसे उसके नाम से नहीं बल्कि कायर कहके ही बुलाता था! वो खुद भी इस बात से काफी ज्यादा परेशान हो गया था इसलिए उसने …

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कर्म करों फल की चिंता ना करों !!

जमीन में दो बीज बोये गए थे अब उनके अंकुरित होकर धरती के ऊपर आने का वक्त था तभी एक बीज ने सोचा कि पता करते हैं धरती के ऊपर का जीवन कैसा हैं ? उस बीज ने कई पौधों और वृक्षों से बात की और एक निष्कर्ष निकाला कि धरती के ऊपर का जीवन बहुत कष्टदायी हैं | धरती …

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कैसे किया माता-पिता ने अपने पुत्रो का मार्गदर्शन !!

एक राजा  और रानी  थे, जिनकी प्रजा बहुत खुश थी, राजा-रानी ने सदैव प्रजा के हीत में कार्य किये | उनके दो पुत्र थे लव एवम कुश | दोनों के विचारों में बहुत मतभेद था जिस कारण वे दोनों सदा ही लड़ते रहते थे, दोनों बहुत बलवान एवम गुणी थे, लेकिन उनकी आपसी लड़ाई, राजा रानी के लिए चिंता  का विषय …

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क्रोध ने हमको बांधा हैं या हमने क्रोध को !!

एक  बार एक व्यक्ति एक महात्मा के पास गया और उसने उस महात्मा से कहा कि हे ! महात्मा मुझे बहुत क्रोध आता हैं | कृपया कोई उपाय बताये | तब महत्मा ने धीरे से मुस्कुरा कर हाथ आगे बढाया और अपने हाथ की मुट्ठी बांधकर कहा – हे भाई ! मेरी यह मुठ्ठी बंद हो गई हैं खुल नहीं …

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घट-घट में राम !!

संत कबीरदास प्रायः गाया करते थे, कबिरहिं फिकर न राम की घूमत मस्त फकीर। पीछे-पीछे राम हैं, कहत कबीर-कबीर। कबीर के एक शिष्य ने कहा, ‘गुरुजी जब भगवान् राम आपके पीछे पीछे घूमते हैं, तो क्यों न हमें भी एक बार उनके दर्शन का सौभाग्य मिले।’ कबीरदास ने हँसकर कहा, भैया, भगवान् उसे ही दर्शन देते हैं, जो दुर्व्यसनों से …

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सौंदर्य क्षण भंगुर है !!

आम्रपाली अपने जमाने की अपूर्व सुंदरी, कुशल गायिका और नर्तकी थी। राजकुमार बिंबिसार से उसने प्रेम विवाह किया था। राजमहल में उसे अपमान के घूँट पीने पड़े। वह वैशाली नगर के बाहर एक आम्र वन में पुत्र जीवक के साथ रहकर संगीत-साधना में रत रहा करती थी। एक दिन आम्रपाली पुत्र के साथ भगवान् बुद्ध के दर्शन के लिए पहुँची। …

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