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ऐसे पढ़ेंगे तभी तो होगा याद

बात तब की है जब स्वामी विवेकानंद प्रसिद्ध नहीं हुए थे। उन्हें अच्छी किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। एक बार वे देश में ही कहीं प्रवास पर थे। उनके गुरुभाई उन्हें एक बड़े पुस्तकालय से अच्छी-अच्छी किताबें लाकर देते थे। स्वामी जी की पढ़ने की गति बहुत तेज थी। मोटी-मोटी कई किताबें एक ही दिन में पढ़कर अगले दिन …

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भगवान विष्णु के अवतार:- (Incarnations of Lord Vishnu)

Bhagwan vishnu

श्रीहरि के जय-विजय नाम के दो द्वारपाल थे। वे सनकादि ब्रह्मर्षियों के शाप से घोर निशाचर कुल में पैदा हुए। उनके नाम रावण और कुम्भकर्ण थे। उनके अत्याचारों से पृथ्वी कांप उठी। वह पाप के भार को सह न सकी। अन्त में वह ब्रह्मादि देवताओं के साथ भगवान की शरण में गयी। देवताओं की प्रार्थना से परब्रह्म परमात्मा ने अयोध्या …

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श्रीकृष्ण जी की के सात विशेष विग्रह (Seven special enunciations of Sri Krishna ji)

Colorful religious krishna janmashtami card background

जय श्री कृष्णा जैसे की हम सब जानते हैं की वृंदावन वह स्थान है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अनेकों ही बाललीलाएं की और अनेकों ही राक्षसों का वध भी किया। यहां पर श्रीकृष्ण जी के विश्वप्रसिद्ध मंदिर भी हैं। आज हम आपको ऐसी ही श्रीकृष्ण जी की 7 चमत्कारी प्रतिमाओं के बारे में बताएँगे , जिनका संबंध वृंदावन से है। …

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. शिष्टाचार – स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग ‘Etiquette – Swami Vivekananda motivational context’

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि–विश्व  में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं, क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं। स्वामीजी की कही सभी बातें हमें उनके जीवन काल की घटनाओं में सजीव दिखाई देती हैं। उपरोक्त लिखे वाक्य को शिकागो की एक घटना ने सजीव  कर दिया, किस तरह विपरीत परिस्थिती में भी उन्होने …

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ऐसे नियंत्रित करें मन की एकाग्रता

स्वामी विवेकानंद शिकागो में व्याख्या देने के बाद अमेरिका में उदार मानव धर्म के वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वहां स्वामी जी वेदांत दर्शन पर प्रवचन दिया करते थे। इस संबंध में उनका प्रवास अमेरिका के उन अंदरूनी इलाकों में भी होता था, जहां धर्मांध और संकीर्ण विचारधारा के लोग रहते थे। एक बार स्वाम जी एक ऐसे …

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प्रोफ़ेसर की सीख

प्रोफ़ेसर साहब बड़े दिनों बाद आज शाम को घर लौटते वक़्त अपने दोस्त से मिलने उसकी दुकान पर गए। इतने दिनों बाद मिल रहे दोस्तों का उत्साह देखने लायक था…दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया और बैठ कर गप्पें मारने लगे। चाय-वाय पीने के कुछ देर बाद प्रोफ़ेसर बोले, “यार एक बात बता, पहले मैं जब भी आता था …

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अंतिम सत्य

ऐसी उपनिषद में प्यारी कथा है। याज्ञवल्क्य छोड़ कर जा रहा है। जीवन के अंतिम दिन आ गए हैं और अब वह चाहता है कि दूर खो जाए किन्हीं पर्वतों की गुफाओं में। उसकी दो पत्नियां थीं और बहुत धन था उसके पास। वह उस समय का प्रकांड पंडित था। उसका कोई मुकाबला नहीं था पंडितों में। तर्क में उसकी …

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बचपन से ही साहसी थे स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। जब भी वो किसी साथी से बात करते तो वह तल्लीनता से उनकी बातों को सुनते थे। एक बार ऐसी ही स्थिति में शिक्षक कक्षा में आ गए और पढ़ाना शुरू कर दिया। छात्रों के पता ही नहीं चला। शिक्षक ने …

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जब से नैन लड़े गिरधर से

एक दिन मोहे मिल गओवाह छैला नन्द कुमारलूट लिया ये दिल मेरोसाखि लूट लिया ये दिल मेरुआंखियन में अंखिया दार जब से नैन लड़े गिरधर सेमेरी अकाल गयी बौराए जने कैसा जादू  डालाचारो और नज़र वो खुमायेवृन्दावन की कुञ्ज गलियन मेंजब से देखा नन्द का लालामेरी अँखियाँ आगे डो’उसका मुखड़ा भोला भालाउसके मतवारे नैनोमेरे दिल को लिया चुराएजब से……. उसकी …

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बनू दास जनम जनम तक यो ही आयो मांग ने

बनू दास जनम जनम तक यो ही आयो मांग नेमैया थारे आगने, मंगल गाऊ घर घर जा कर था सु मिलयो उपकारदे के सेवा ही जन्म में बहुत कियो उपकारमौज उडावा मैं तो दादी थारे कारनेमैया थारे आगने, मानव तन जो पाऊ फिर से मंगल मैं गाऊपंशी जीवन म्हाने देयो यो जो ही मैं चाहूबन के मोरी यो मैं नाचू …

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