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श्री शबरी जी की भक्ति

shree shabaree jee kee bhakti

सबको परमगति प्रदान करते हुए उदारशिरोमणि भगवान शबरी को भी गति देने के लिए उसके आश्रम में पधारे । ‘आश्रम’ शब्द से शबरी जी का विरक्त होना सूचित किया गया है, क्योंकि वन में बहुत – से कोल – किरात आदि भी निवास करते हैं, परंतु उनके घरों को कभी ‘आश्रम’ नहीं कहा जाता । शबरी जी मन, वचन और …

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श्रीकृष्ण – चरण सेवन का माहात्म्य

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ब्रह्मा जी श्रीभगवान से कहते हैं – ‘हे देव ! जो लोग आपके उभय चरण – कमलों के प्रसाद का लेथ पाकर अनुगृहीत हुए हैं, वे भक्तजन ही आपकी महिमा के तत्त्व को जान सकते हैं, उनके सिवा अन्य कोई भी चिरकाल तक विचार करने पर भी आपके तत्त्व को नहीं जान सकता ।’ यमराज अपने दूतों से कहते हैं …

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सुदर्शन पर जगदंबा की कृपा

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अयोध्या में भगवान राम से कुछ पीढ़ियों बाद ध्रुवसंधि नामक राजा हुए । उनकी दो स्त्रियां थीं । पट्टमहिषी थी कलिंगराज वीरसेन की पुत्री मनोरमा और छोटी रानी थी उज्जयिनी नरेश युधाजित की पुत्री लीलावती । मनोरमा के पुत्र हुए सुदर्शन और लीलावती के शत्रुजित । महाराज की दोनों पर ही समान दृष्टि थी दोनों राजपुत्रों का समान रूप से …

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शिव और सती

Pardosh Vart Ka Mahtav Story

सिव सम को रघुपति ब्रतधारी । बिनु अघ तजी सती असि नारी ।। भगवान शिव और माता सती देवी की असीम महिमा बड़े ही सुंदर ढंग से प्रतिपादित की है । भगवान शिव के लिए है क्योंकि संसार में सब धर्मों का सार, सब तत्त्वों का निचोड़ भगवत्प्रेम ही निश्चय किया गया है । भगवान परब्रह्म में दृढ़ निष्ठा का …

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लोकसंग्रह और भगवान श्रीकृष्ण

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लोकसंग्रह की पद्धति ठीक तरह से समझ में आ जाएं, इसके लिए एक नियम है, और वह यह है कि जिस प्रकार अज्ञानी पुरुष मन में धन और कीर्ति की अभिलाषा रखकर, स्वार्थ के लिए, पूरी सावधानी के साथ कर्म करता है उसी प्रकार ज्ञानी पुरुष को भी उतनी ही सावधानी के साथ, पर निष्काम बुद्धि से कर्म करना चाहिए …

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भगवान शिव का हरिहरात्मक रूप

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

एक बार सभी देवता भगवान विष्णु के पास गये और उन्हें नमस्कार करने के बाद संपूर्ण जगत के अशांत होने का कारण पूछा । देवताओं के प्रश्न करने पर भगवान विष्णु ने कहा – ‘देवताओं ! हम तुम्हारे इस प्रश्न का यथोचित उत्तर नहीं दे सकते । हम सभी लोगों को एक साथ मिलकर भगवान शंकर के पास चलना चाहिए …

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लोकनायक श्रीकृष्ण

Aisi Lagi Lagan , Merya Ho Gayi Magan

कहा जाता है कि जिसे किसी का आसरा नहीं उसे महादेव के यहां आश्रय मिलता है । अंधे, पंगु, अपंग और पागल ही नहीं बल्कि भूत – प्रेत, विषधर सर्प वगैरह भी महदेव के पास आश्रय पा सकते हैं । विष्णु की कीर्ति इस रूप में नहीं गायी गयी, फिर भी वह दीनानाथ हैं । श्रीकृष्णावतार तो दीन दुखी और …

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भगवान हनुमान के चरित्र से शिक्षा

na svar hai na saragam hai

सचिव कैसा होना चाहिए और उसे सचिव धर्म का पालन किस प्रकार करना चाहिए, इसका उत्तम उदाहरण श्रीहनुमान जी ने दिखाया है । महाबली वाली के दुरत्यय आघात के कारण सुग्रीव को त्रैलोक्य में कहीं ठिकाना नहीं रह गया था । ऐसे दीन, निराश्रय जन का साथ देकर महाबली वाली से वैर मोल लेना मामूली बात नहीं थी । ऐसी …

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भगवान की एक लीला

chalo man shri vrindavan dham bhajan

पुराणों में भगवान की लीलाओं का वर्णन है । परंतु आजकल इतिहास पुराण ग्रंथों पर से लोगों की श्रद्धा घटती जाती है । उनका पठन – पाठन, उनकी कथा धीरे – धीरे लोप हो रही है । यहीं कारण है कि जनसाधारण में से स्वधर्म का त्रान नष्ट हो रहा है और धार्मिक प्रवृत्ति भी मंद हो गयी है । …

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अर्धनारीश्वर शिव

ardhanaareeshvar shiv

सृष्टि के आदि में जब सृष्टिकर्ता ब्रह्माद्वारा रची हुई सृष्टि विस्तार को नहीं प्राप्त हुई, तब ब्रह्मा जी उस दु:ख से अत्यंत दु:खी हुए । उसी समय आकाशवाणी हुई – ‘ब्रह्मन ! अब मैथुनी सृष्टि करो ।’ उस आकाशवाणी को सुनकर ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि करने का विचार किया, परंतु ब्रह्मा की असमर्थता यह थी कि उस समय तक …

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