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Svaamee vivekaannd

तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही साहसी और निडर बालक थे। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। एक बार वह अपने दोस्त के यहां खेलने गए। तब उनकी उम्र 8 साल थी। मित्र के घर चंपा का पेड़ था। नरेंद्र को उस पर लटक कर खेलना काफी पसंद था। हर दिन की तरह उस दिन भी उसी पेड़ पर चढ़कर नरेंद्र …

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केवल यहां पर कीजिए लक्ष्य केंद्रित

तोल-मोल कर बोलें बोल, हर समस्या होगी गोल

एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। अचानक, एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने …

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ऐसे पढ़ेंगे तभी तो होगा याद

बात तब की है जब स्वामी विवेकानंद प्रसिद्ध नहीं हुए थे। उन्हें अच्छी किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। एक बार वे देश में ही कहीं प्रवास पर थे। उनके गुरुभाई उन्हें एक बड़े पुस्तकालय से अच्छी-अच्छी किताबें लाकर देते थे। स्वामी जी की पढ़ने की गति बहुत तेज थी। मोटी-मोटी कई किताबें एक ही दिन में पढ़कर अगले दिन …

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. शिष्टाचार – स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग ‘Etiquette – Swami Vivekananda motivational context’

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि–विश्व  में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं, क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नही हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं। स्वामीजी की कही सभी बातें हमें उनके जीवन काल की घटनाओं में सजीव दिखाई देती हैं। उपरोक्त लिखे वाक्य को शिकागो की एक घटना ने सजीव  कर दिया, किस तरह विपरीत परिस्थिती में भी उन्होने …

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ऐसे नियंत्रित करें मन की एकाग्रता

स्वामी विवेकानंद शिकागो में व्याख्या देने के बाद अमेरिका में उदार मानव धर्म के वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हो गए। वहां स्वामी जी वेदांत दर्शन पर प्रवचन दिया करते थे। इस संबंध में उनका प्रवास अमेरिका के उन अंदरूनी इलाकों में भी होता था, जहां धर्मांध और संकीर्ण विचारधारा के लोग रहते थे। एक बार स्वाम जी एक ऐसे …

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बचपन से ही साहसी थे स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही बुद्धिमान थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही प्रभावशाली था। उनके बचपन का नाम नरेंद्र था। जब भी वो किसी साथी से बात करते तो वह तल्लीनता से उनकी बातों को सुनते थे। एक बार ऐसी ही स्थिति में शिक्षक कक्षा में आ गए और पढ़ाना शुरू कर दिया। छात्रों के पता ही नहीं चला। शिक्षक ने …

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धर्म की निंदा होने पर दिया उचित तर्क

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बात उस समय की है जब स्वामी विवेकानंद पूना (वर्तमान में पुणे) गए हुए होते थे। वह रेलगाड़ी से वहां जा रहे थे। तभी वहां कुछ शिक्षित लोगों ने अंग्रेजी भाषा में सन्यासियों की निंदा करना शुरू कर दी। उन्हें लगा कि स्वामी जी को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ने होने के चलते वह नहीं समझ पाएंगे। चर्चा जब रुकने …

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ऐसा करने से आपका हर काम सफल होगा

ऐसा करने से आपका हर काम सफल होगा

  एक बार जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका यात्रा पर थे। तब उन्होंने पुल पर खड़े लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बंदूक से निशाने लगाते हुए देखा। उनमें से कोई भी निशाना सही जगह पर नहीं लगा पा रहा था। तब उन्होंने स्वयं एक बच्चे से बंदूक ली और निशाना लगाया। निशाना सही जगह पर लगा। …

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सत्य का साथ कभी न छोड़ें

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स्वामी विवेकानंद प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी लोग उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वो अपने साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो कर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में वो कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे, सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही …

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जब विद्यार्थी की निर्भीकता के कायल हुए दादाजी

बहुत समय पहले बिले नामक एक विद्यार्थी था। उसकी खासियत थी कि वह खेलने के समय दिल लगाकर खेलता और पढ़ने के समय एकाग्रचित्त होकर पढ़ता। बिले साहसी था, अपने इसी गुण के कारण वह वृक्षों पर चढ़ जाता। यह सब कुछ देखकर उसके दादाजी को भय लगता। कहीं बिले उन वृक्षों से गिर न जाए। बिले का दादाजी मना …

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