मदन उड़ीसा के एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा। पढ़ लिखकर वह एक अच्छी सी नौकरी करने लगा। नौकरी में लगातार हुए प्रमोशन से उसे खूब तरक्की और शोहरत की प्राप्ति हुई। वह अब शहर में रहने लगा , वहां मदन को ग्यारहवीं मंजिल पर एक आलीशान फ्लैट कंपनी के द्वारा मिला। मदन अपनी पत्नी को एक बच्चे के साथ खूब ऐसो आराम से रहने लगा। कुछ …
Read More »Gyan Ganga
बच्चे और उनके दादाजी !!
एक गाँव में दो चतुर बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते थे। एक दिन उनके दादाजी उनके साथ रहने के लिए आए। वह एक नाविक रह चुके थे। बच्चों को उनसे कहानियाँ सुनना अच्छा लगता था। वह उन्हें बताते, कैसे वह समुद्री डाकुओं से लड़े। धीरे-धीरे दादाजी कहानियाँ सुनाकर ऊब गए। वह अपने हमउम्र लोगों से बातें करना चाहते थे। …
Read More »दुष्टों से दूरी भली!!
एक बार एक दुष्ट बाघ के गले में हड्डी फंस गई। अब न तो वह ठीक से सांस ले पा रहा था। न ही बोल पा रहा था। बहुत प्रयास करने के बाद भी वह हड्डी नहीं निकाल पाया। वह इस तकलीफ से निजात पाने के लिए मदद ढूंढने लगा। वह सभी जानवरों के पास गया। सबसे गले में फंसी …
Read More »घमंडी बाप को सबक सिखाया
आज उनको समझ आ गया था कि कितने भी बड़े पद पर रहो मान प्रतिष्ठा रहे पर घर में परिवार में एक सामन्य इंसान बनकर रहना चाहिए |
Read More »हे ईश् प्रभु परमेश्वर हम सब तुझको शीश नवाते हैं
हे ईश् प्रभु परमेश्वर हम सब तुझको शीश नवाते हैं.आदि अंत हैं तुझमे प्रभुवर! तेरे ही गुण गाते हैं.जड़ चेतन में तू ही तू हैं,तू ही दिक् और काल बना.आत्म रूप बन प्राणी मात्र में,जीवन , जीवन पाल बना.तू ही तू बस ओर हैं, मै की भेट चढाते हैं.अहंभाव को तज सब में हम तेरे दर्शन पाते हैं.विविध नाम और …
Read More »गाँवी खुशियों का चॉकलेट: एक परिवर्तन की कहानी
खाली पैसे बचाने के चक्कर में ढंग से खाता-पीता भी नहीं क्या!" "बारह घंटे की ड्यूटी है अम्मा, बैठकर थोड़े खाना है! ये लो, तुम्हारी मनपसंद मिठाई!"--कहकर उसने मिठाई का डिब्बा माँ को थमा दी!
Read More »Shri Ganesh Mantra
गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।उमासुतं शोक विनाशकारकम्,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥ गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।उमासुतं शोक विनाशकारकम्,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥ गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।उमासुतं शोक विनाशकारकम्,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥ गजाननं भूत गणादि सेवितं,कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् ।उमासुतं शोक विनाशकारकम्,नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम् ॥
Read More »महामृत्युंजय मंत्र / Mahamrityunjay Mantra
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव …
Read More »स्वस्थ शरीर से बढ़कर कोई पूंजी नहीं
उसके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह बहुत ज़्यादा आलसी था। अपने सारे काम नौकरों से ही करता था और खुद सारे दिन सोता रहता या अययाशी करता था। वह धीरे धीरे बिल्कुल निकम्मा हो गया था| उसे ऐसा लगता जैसे मैं सबका स्वामी हूँ क्यूंकी मेरे पास बहुत धन है मैं तो कुछ भी खरीद सकता हूँ। यही सोचकर वह दिन रात सोता रहता था| लेकिन कहा जाता है की बुरी सोच का बुरा नतीज़ा होता है।
Read More »मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा
छोटा सा गाँव था,और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद,माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था
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