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Work of Krishnananda Saraswati

Work of Krishnananda Saraswati Worshipful Sri Swami Krishnanandaji Maharaj took birth on the 25th of April, 1922, and was named Subbaraya. He was the eldest of five children in a highly religious and orthodox Brahmin family well versed in the Sanskrit language, the influence of which was very profound on the young boy. He attended high school in Puttur (South …

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अंतिम झांकी

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जब भगवान श्रीकृष्ण जी ने देखा कि समस्त यदुवंशियों का संहार हो चुका है,तब उन्होंने संतोष की सांस ली कि पृथ्वी का बचा-खुचा भार भी उतर गया।अब मेरे अवतार का कार्य पूर्ण हो चुका है। बलराम जी ने भी समुद्रतट पर बैठकर एकाग्र चित्त से परमात्मा का चिंतन करते हुए अपनी आत्मा को आत्मस्वरूप में स्थिर कर लिया और मनुष्य …

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स्वधर्म पर दृढ़ रहने से प्राप्त होते हैं सुपरिणाम

svadharm par drdh rahane se praapt hote hain suparinaam

एक दिन वन में प्यास से व्याकुल हो भीम, अर्जुन, नकुल, और सहदेव पानी की तलाश में एक सरोवर पर पहुंचे, किंतु जैसे ही उन्होंने पानी पिया, तत्क्षण चारों की मृत्यु हो गयी। इधर युधिष्ठिर उन्हें खोजने के लिए निकले, तो चारों को सरोवर के किनारे मृत अवस्था में देखकर अत्यधिक दु:खी हुए। हताश युधिष्ठिर काफी देर तक शोकमग्न अवस्था …

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माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप

maandavy rshi ka yamaraaj ko shraap

महाभारत के अनुसार, माण्डव्य नाम के एक ऋषि थे। राजा ने भूलवश उन्हें चोरी का दोषी मानकर सूली पर चढ़ाने की सजा दी। सूली पर कुछ दिनों तक चढ़े रहने के बाद भी जब उनके प्राण नहीं निकले, तो राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने ऋषि माण्डव्य से क्षमा मांगकर उन्हें छोड़ दिया। तब ऋषि यमराज के …

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केवट के भाग्य (Fate of Kevat)

Naiya le chal parli pr Bhajan

  श्रीराम के बार-बार मना करने पर भी अयोध्यावासी वापस नहीं लौट रहे थे। श्रीराम भी उनके दु:ख से दु: खी थे। पूरी रात अभी बाकी थी। तभी श्रीराम ने सुमन्त्र को रथ ले चलने के लिए कहा और सीता तथा लक्ष्मण के साथ अयोध्या वासियों को सोता हुआ छोड़कर वे चल दिए। जब राम, लक्ष्मण, सीता गंगा पार करने …

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लकड़ी का कटोरा

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  एक  वृद्ध  व्यक्ति अपने  बहु – बेटे  के  यहाँ  शहर  रहने  गया . उम्र  के  इस  पड़ाव  पर   वह  अत्यंत  कमजोर  हो  चुका  था , उसके  हाथ  कांपते  थे  और  दिखाई  भी  कम   देता  था .  वो एक छोटे से घर में रहते थे , पूरा  परिवार  और  उसका  चार  वर्षीया  पोता  एक  साथ  डिनर  टेबल  पर  खाना  खाते  थे . लेकिन  वृद्ध  होने  के  …

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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

KasheeVishvanath

श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi) जनपद के काशी नगर में अवस्थित है। कहते है, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भोले बाबा के त्रिशूल पर विराजती है। इस मंदिर को कई बार बनाया गया। नवीनतम संरचना जो आज यहां दिखाई देती है वह 18वीं शताब्दी में बनी थी। कहा जाता है कि एक बार …

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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

vaidyanath-jyotirlinga

एक धार्मिक मान्यता है कि परली ग्राम के निकट स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirling Temple) वास्तविक ज्योतिर्लिंग है. “परलीग्राम” निज़ाम हैदराबाद क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. यहां का मन्दिर अत्यन्त पुराना है, जिसका जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई ने कराया था. लेकिन शिव पुराण के अनुसार झारखण्ड प्रान्त के जसीडीह के समीप देवघर का श्री वैद्यनाथ शिवलिंग ही वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है. …

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मां गंगा का धरती पर जन्‍म (Birth of maa Ganga on the Earth)

mere sar pe jhunjhanavaalee chunariya daal kar rakhatee hai

शास्‍त्रों के अनुसार माना गया है कि महाराजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कठोर तप किया था और धरती के पाप कम करने के लिए मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे. मां के जन्‍म की कथा बहुत ही प्रसिद्ध और पावन है. इसे सुनने से भी मां का आशीर्वाद भक्‍तों पर बना रहता है. …

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अंजनी पुत्र हनुमानजी की जन्‍मकथा के बारे में (Birth story of Hanuman jee)

he hanumaan bahoo balavaan bhakti gyaan vairaagy kee khaan

पुराणों में कथा है कि केसरी और अंजना के विवाह के बाद वह संतान सुख से वंचित थे. अंजना अपनी इस पीड़ा को लेकर मतंग ऋषि के पास गईं, तब मंतग ऋषि ने उनसे कहा- पप्पा (कई लोग इसे पंपा सरोवर भी कहते हैं) सरोवर के पूर्व में नरसिंह आश्रम है, उसकी दक्षिण दिशा में नारायण पर्वत पर स्वामी तीर्थ …

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