उन्होंने करीब 250 फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ प्रमुख फिल्मों में बैजू बावरा, अनारकली, नया दौर, साधना, धूल का फूल, बीस साल बाद, वक्त, काला पत्थर और दिल तेरा दीवाना शामिल हैं। 'धूल का फूल' का लोकप्रिय गाना
Read More »Story for Children]
सम्मान
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Read More »गढ़वाल राइफल क्या है
अपनी मात्र भूमि के लिए वीर गति को प्राप्त हो गया और जिसने अकेले ३०० चीनी सैनिकों को मर गिराया| जी हाँ मित्रों ३०० सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था इस महावीर ने| इनका नाम है जसवंत सिंह रावत और यह एक उत्तराखंडी है|जसवंत सिंह के नाम पर एक गाँव का नाम जसवंतपुर भी है| इन्हें इनकी बहादुरी के लिए महावीर चक्र भी दिया गया
Read More »एक वरिष्ठ वकील 46 दोषियों को मौत की सजा (फांसी) से बचाने के लिए बहस कर रहा था
तभी उसका सहायक अंदर आया और उसे एक छोटा सा कागज दिया, वकील ने इसे पढ़ा और अपनी जेब के अंदर रखा और अपनी बहस जारी रखी...,,लंच ब्रेक के दौरान,
Read More »माँ कभी वापिस नहीं आती है।
मम्मा को दिखा दो, मम्मा को देख लूँ, मम्मा कहाँ गयी ?... उम्र - चार साल* -- मम्मी कहाँ हो ? मैं स्कूल जाऊँ ? अच्छा bye मुझे आपकी याद आती है स्कूल में..
Read More »पंकज त्रिपाठी उनकी पत्नी मृदुला त्रिपाठी
अभिनेता पंकज त्रिपाठी की ज़िन्दगी भी इस कहावत से अलग नहीं है। लोग छोटे से शहर से निकलकर मुंबई की मायानगरी में आते हैं,सालों-साल संघर्ष करते हैं,
Read More »कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली
बचपन से लेकर आज तक हजारों बार इस कहावत को सुना था कि "कहां राजा भोज- कहां गंगू तेली"। आमतौर पर यह ही पढ़ाया और बताया जाता था कि इस कहावत का अर्थ अमीर और गरीब के बीच तुलना करने के लिए है
Read More »पवित्र भावना का प्रतिफल
सुरेश जी ने दूसरी शादी की तो सुरेखा को लगा कि उसे माँ मिल जाएगी। सुरेखा ने अपनी माँ की तरह ही चाहा राधा माँ को।
Read More »हाथ से डुलाने वाला पंखा
एक रस्सी द्वारा कोई प्राणी डुलाता रहता।चूँकि विद्युतीकरण उस समय हुआ नहीं था हाथ से डुलाने वाला ये पंखा बड़े अमीर वर्ग में ख़ासा प्रचलन में था। अंग्रेज़ी हुकूमत के दौरान ऐसे पंखों का खूब प्रयोग हुआ। अनेक भारतीय मज़दूर को पंखा डुलाने के लिए अंग्रेज़ी अफ़सर रखते थे।
Read More »आप भी डायन
ग्यारह बजने को आए ... जाने कब दोपहर का खाना चढाऐगी चूल्हे पर .... और जाने कब खाने को मिलेगा
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