तेरी मीठी लागे छाछ गुजरियां तनक पिवाये दे री,
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरियां
बहुत दिना को रसिया प्यासा तेरी छाछ का
ऐसा आनंद आवेगा गोपी महारास का
इक चुलू में तेरा काहा बिगड़े लेके हस मुस्काये दे वी
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरियां
जोरू हाथ परु तेरी पहियाँ क्यों तरसावे री,
रचना पूरण होए देख मेरा मन हर्सावे री,
तेरी लंम लहियाँ चाहे मोह पे नाच नाचाये ली
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरियां
करू चाकरी हर दम तेरी बरसाने वाली
आज पी वाये दे फिर न मांगू ओह श्यामा प्यारी
या के बदले मनचाही मोह्पे तू पेहल कराए ली री,
तेरी मीठी लागे छाछ गुजरियां………