भीगे है कान्हा चुनरी रंग मत डारो,भीगे है कान्हा चुनरी छलक रही गगरीमैं नाजुक ठेहरी रंग मत डारो,भीगे है कान्हा चुनरी रंग मत डारो, ग्वालो के संग कान्हा यु न सताओअंग अंग कांपे है रंग न लगाओदिखे है सारी नगरी रंग मत डारो,भीगे है कान्हा चुनरी रंग मत डारो, करुँगी शिकायत मैया से तोरी,छोडू मोरी बहियाँ न करू वर जोरीकरो …
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श्याम मेरी चुनर पे रंग मत डाल
श्याम मेरी चुनर पे रंग मत डाल, विनती करूं पैया पडु तोरे बार-बार, भर पिचकारी कान्हा सन्मुख ना मारो, अबीर गुलाल मेरे मुख पे ना डारो, आज आई आई करके मैं सोलह श्रृंगार, विनती करूं पैया पडु....
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