हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है जो पूरी दुनिया में अपने रिवाजों और संस्कृति के लिए जाना जाता है। हमारी संस्कृति में किसी भी पूजा-पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान का शुभारंभ श्रीगणेश की पूजा से होता है। उसी प्रकार बिना तिलक धारण किए कोई भी पूजा-प्रार्थना आरंभ नहीं होती। हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक लगाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो सदियों …
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राजकुमारी सुकन्या का बलिदान
प्राचीनकाल की बात है। उस समय भारत में राजा शर्याति का शासन था। वे अत्यंत न्यायप्रिय, प्रजासेवक एवं कुशल प्रशासक थे। सद्गुणों का व्यापक प्रभाव राजा के पुत्र-पुत्रियों पर भी पड़ा। एक दिन राजा शर्याति अपने पुत्र-पुत्रियों के साथ वन विहार के लिए निकले। राजा- रानी तो एक सरोवर के समीप विश्राम के लिए बैठ गए लेकिन उनके पुत्र-पुत्रियां परस्पर …
Read More »गंगा दशहरा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा सगर के मृत पुत्रों का उद्धार करने के लिए गंगा धरती पर अवतरित हुईं थीं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी। ये विशेष तिथि है, इसे हर साल गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक गंगा हिमालय और मैना की पुत्री हैं और भगवान विष्णु के अंगूठे से निकलती …
Read More »आखिर कहां से आया नारियल ?
हिन्दू धर्म में नारियल का विशेष महत्व है। नारियल के बिना कोई भी धार्मिक कार्यक्रम संपन्न नहीं होता है। नारियल से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहते है नारियल को इस धरती पर ऋषि विश्वामित्र लेकर आए थे। प्राचीन काल की बात है। एक बहुत ही पराक्रमी सत्यव्रत नाम के राजा हुए। राजा सत्यव्रत का ईश्वर में सम्पूर्ण …
Read More »औषधीय पौधा- ग्रेट मुलेन
ग्रेट मुलेन को लेटिन भाषा में “वरबेसकम थेप्सस” कहा जाता है। ग्रेट मुलेन अक्सर आपको पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के किनारे जरूर देखने को मिला होगा। दो मीटर की उंचाई लिए हुए हल्के रोमों सी ढकी यह वनस्पति देखने में बिल्कुल जंगली झाड़ियो की तरह लगती है लेकिन सदियों से इस वनस्पति का घरेलू औषधि के रूप में प्रयोग किया …
Read More »हार-जीत का फैसला
बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। हार-जीत का निर्णय होना बाकी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। लेकिन जाने से पहले देवी भारती नें …
Read More »निर्जला एकादशी व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है । प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशी तिथियां होती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं इस व्रत में पानी पीना वर्जित है इसलिये इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। व्रतों में निर्जला एकादशी …
Read More »तीर्थो का महत्त्व
एक समय की बात है। गंगा के किनारे एक आश्रम में गुरु जी के पास कुछ शिष्यगण बैठे हुए कुछ धार्मिक स्थलों की चर्चा कर रहे थे। एक शिष्य बोला गुरु जी अब की बार गर्मियों में गंगोत्री, यमनोत्री की यात्रा हमें आपके साथ करनी है। आपके साथ यात्रा का कुछ अलग ही आनंद है। दर्शन के साथ-साथ हर चीज …
Read More »विनम्रता का फल
महाभारत की एक कथा है। धर्मयुद्ध अपने अंतिम चरण में था। भीष्म पितामह शैय्या पर लेटे हुए अपने जीवन के आखिरी क्षण गिन रहे थे। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला हुआ था और वे सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। धर्मराज युधिष्ठिर जानते थे कि पितामह ज्ञान और जीवन संबंधित अनुभव से संपन्न हैं। …
Read More »प्रदोष व्रत का महत्त्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है। यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। जानिए इसकी पूजन विधि, कथा और महत्त्व …
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