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‎धीरज‬ और ‪‎शांति‬ का महत्त्व

धीरज‬ और ‪‎शांति‬ का महत्त्व

एक दिन भगवान बुद्ध कहीं जा रहे थे, उनके साथ उनका एक शिष्य भी था जिसका नाम था आनंद । वे पैदल चलते हुए बहुत दूर निकल गए। ज्यादा चलने के कारण वे थक गए थे इसलिए रास्ते में आराम करने के लिए वे एक पेड़ के नीचे रुक गए। अचानक से भगवान बुद्ध को बहुत जोर की प्यास लगी। …

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आखिर क्यों पड़ी थी समुद्र मंथन की जरूरत..

Aakhir Kyo Pari Samunder Manthan Ki Jarurat Srory

एक बार शिवजी के दर्शन के लिए दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कैलाश जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवराज इन्द्र मिले। इन्द्र ने दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों को भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। तब दुर्वासा ऋषि ने इन्द्र को आशीर्वाद देकर विष्णु भगवान का पारिजात पुष्प प्रदान किया। इन्द्रासन के गर्व में चूर देवराज इन्द्र ने उस पुष्प को …

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कैसे वृंदा ने लिया तुलसी का रूप

Kaise Varinda Ne Liya Tulsi Ka Roop Story

पौराणिक कथा के अनुसार एक बड़ी ही सुशील कन्या थी। नाम था वृंदा। उसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था लेकिन वृंदा बचपन से ही भगवान विष्णु जी की परम भक्त थी। बड़े ही प्रेम से भगवान की पूजा किया करती थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया, जलंधर समुद्र …

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गणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत‬

Jai Ganesh Bhajan

सभी महीनों की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी गणेश संकष्ट चतुर्थी कहलाती है। इसे वक्रतुंडी चतुर्थी, माही चौथ, तिल अथवा तिलकूट चतुर्थी व्रत भी कहते हैं। मंगलमूर्ति और प्रथम पूज्य भगवान गणेश को संकट हरण भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस चतुर्थी के दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से जहां सभी कष्ट दूर हो जाते …

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गुरुवयुर मंंदिर

guruvayur-temple

गुरुवयुर श्री कृष्ण मंदिर गुरुवयुर केरला में स्थित है। यह मंदिर विष्णु भगवान का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। गुरुवयुर मंंदिर वैष्णवों की आस्था का केंद्र है। अपने खजाने के कारण यह मंदिर भी भारत के 10 सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। wish4me in English guruvayur …

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दुर्वाषा ऋषि के श्राप से शुरू हुई ‪समुद्र मंथन‬ की कहानी का अगला भाग

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समुद्र मंथन का आरम्भ होना जब देवताओं तथा असुरों ने समुद्र मं थन आरंभ किया, तब भगवान विष्णु ने कच्छप बनकर मंथन में भाग लिया। वे समुद्र के बीचों-बीच स्थिर रहे और उनके ऊपर रखा गया मदरांचल पर्वत। फिर वासुकी नाग को रस्सी बनाकर एक ओर से देवता और दूसरी ओर से दैत्यों ने समुद्र का मंथन करना शुरू कर …

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समुद्र मंथन से प्राप्त दूसरा रत्न – ‪‎कामधेनु‬

भगवान शंकर के विष ग्रहण करने के बाद देवताओं और दैत्यो ने मंथन आरम्भ किया। समुद्र के चारों ओर बड़े जोर की आवाज उत्पन्न हुई। देव और असुरों ने जब सिर उठाकर देखा तो पता चला कि यह साक्षात सुरभिकामधेनु गाय थी। इस गाय को काले, श्वेत, पीले, हरे तथा लाल रंग की सैकड़ों गौएं घेरे हुई थीं। उस समय …

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‎शिक्षाप्रद कहानियां- कोध्र पर विजय‬

Kodhr par vijay‬

गोदावरी नदी के तट पर संत एकनाथ बैठे हुए थे। उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। वह जिस गांव में रहते थे, वहां एक चबूतरा था। जहां दिनभर संत विरोधियों का जमघट रहता था। एक दिन वहां एक व्यक्ति आया और तब उन्होंने कहा, तुम संत एकनाथ को नाराज करके दिखाओ। इसके बदले में हम तुम्हें धन …

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सोमनाथ मंदिर

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सोमनाथ एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है।  गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इसे अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और …

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भागीरथी गंगा

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सगर पौत्र अंशुमन के द्वितीय पुत्र दिलीप हुए। दिलीप ने भी गंगावतरण के लिए खूब तप किया। परंतु तपस्या करते-करते वे काल- कवलित हो गए। दिलीप के भगीरथ नाम के पुत्र हुए। जिन्होंने करोड़ों वर्ष तपस्या की और गंगा पृथ्वी पर अवतरित होने को तैयार हो गई। ज्ञान गंगा भी तो कई जन्मों के बाद ही प्राप्त होती है। गंगा …

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