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साँवरे तूने नहीं झुकने दिया

माँगू मैं क्या, क्या नहीं तुमने दिया,साँवरे तूने नहीं, झुकने दिया…. जब से मेरे सर तुम्हारा हाथ है,ठोकरों में भी नहीं गिरने दिया,मुझको तूने ना कहीं, झुकने दिया,माँगू मैं क्या, क्या नहीं तुमने दिया,साँवरे तूने नहीं, झुकने दिया…. आँधियों मैं हम भी मिट जाते मगर,साँवरे तुमने नहीं मिटने दिया,मुझको तूने ना कहीं, झुकने दिया,माँगू मैं क्या, क्या नहीं तुमने दिया,साँवरे …

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नंदकिशोरा चित्तचकोरा

कान्हा ओ कान्हा कान्हा रे कान्हा…… नंदकिशोरा, चित्तचकोरा गोकुळतारा, मनमोहन तूबावरी राधा मी ब्रिजबालाप्रेम रसाची ओढ जीवालाकृष्ण कन्हैया अशीलाविसी तू नंदकिशोरा, चित्तचकोरागोकुळतारा, मनमोहन तूकृष्णा कृष्णा, हरे कृष्णाराधे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा……. वृंदावनी गोप-गौळणी घेऊनिया धुंद रास खेळसीतू पानांतुनी वेलीतुनीबासुरीचे गोड छेडीसी तूयाच सुरांनी मोहुनीगेले पाहुनी तुजला मी तुझीझाले वेड मनाला असे लाविसीतू नंदकिशोरा, चित्तचकोरागोकुळतारा, मनमोहन तू राधा तुझी, मीरा तुझीहोईन मी …

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न ठोकर मार दासी हूं

न ठोकर मार दासी हूं मैं दुनिया की सताई हूं दिए अपनो ने धोखे श्यामदिए अपनो ने धोखे श्यामयह दुनिया पैसे वालों की मैं खाली हाथ आई हूं पड़ी नैया भंवर में श्यामकिनारा दूर है मेरा खिवैया आप बन जाओ तो बेड़ा पार हो जाए मुझे अपना बना लो श्यामया इस जग से उठा लो श्यामतुम्हें पाने की हसरत में मैं बंधन तोड़ आई हूं …

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तेरी इन मतवारी आंखों में डरे काजल के डोरे

तेरी इन मतवारी आँखों मे डले काज़ल के डोरे ,अरे घनश्याममुखड़े पे चंदन की शोभा मन को भा गई मोरे,अरे घनश्याम मोर मुकुट सर में साजे, गाल में तिल प्यारा लागे,आँख में काजल होंठ में लाली भाग मुरलिया के जागे,कानों में कुंडल की शोभा तन मन को झकझोरे,अरे घनश्याम कण्ठ में बैजंती माला कांधे पीताम्बर डाले,चक्र सुदर्शन हाथ मुरलिया पायल …

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और नहीं कुछ भी मैं चाहूँ श्याम तेरा साथ मैं पाऊँ

और नहीं कुछ भी मैं चाहूँश्याम तेरा साथ मैं पाऊँ…. बिन बाती ज्यूँ दीपक सूनावैसे ही मैं तुझ बिन हूँ नातेरे विरह की पीर सही नाबिन तेरे बनवास बिताऊंश्याम तेरा साथ मैं पाऊँ…. जब सोऊँ सपनो में आओपलकों में हे श्याम समाओहर्ष तेरा दीदार कराओमन आँखों से दर्शन पाऊंश्याम तेरा साथ मैं पाऊँ….. मुझे दास बना कर रख लेना,भगवान तु …

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धन की तृष्णा

सभी धर्मशास्त्रों में धन-संपत्ति तथा अन्य सांसारिक पदार्थों के प्रति तृष्णा को पतन का मूल कारण बताया गया है। महाभारत के वन पर्व में कहा गया है, तृष्णा ही सर्वपापिष्ठा अर्थात् तृष्णा सर्वाधिक पापमयी है। तृष्णा के कारण मानव घोर पाप कर्म करने में भी नहीं हिचकिचाता। विष्णु पुराण में कहा गया है, ‘जो व्यक्ति धन-संपत्ति को भगवान् की धरोहर …

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माँ और बेटी

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एक सौदागर राजा के महल में दो गायों को लेकर आया – दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थीं। सौदागर ने राजा से कहा “महाराज – ये गायें माँ – बेटी हैं परन्तु मुझे यह नहीं पता कि माँ कौन है व बेटी कौन – क्योंकि दोनों में खास अंतर नहीं है। मैंने अनेक जगह पर …

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मनमोहनी है छवि ये तुम्हारी

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मनमोहनी है छवि ये तुम्हारी, हटती नहीं है बाबा नजरें हमारी, सर पे मुकुट और कानों में कुंडल, माथे पे हीरा आंखें ये चंचल, अधरों पे लगती मुरली है ..

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कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ

जो देख कर मुँह फेर लिया करते थे,वक़्त बदला तो मेरे नीम पर आम आने लगे,किस किस को सुनाऊँ तेरे दान की कहानियाँ,तू ही तो है मेरे बाबा जो करता है हम सब पर मेहरबानियाँ| कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ,कैसे मैं तो भूलूँ बाबा तेरी मेहरबानियाँ,जब से पड़ी रे नज़र बरसी हम पर मैहर,दिन गए रे सुधर दिन …

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