मानव स्वभाव पर बुद्ध कहानी आचार्य चाणक्य ने कहा था कि इंसान को ज्यादा सीधा भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि अगर हम जंगल में जाकर देखे तो, जान पाएंगे की सीधे पेड काट दिए जाते हैं जबकि टेढे मेढे पेड छोड दिए जाते हैं। तो आज की हमारी ब्लॉग पोस्ट भी इसी बारे में है कि ज्यादा अच्छा बना बुरा …
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नए युग की शुरुआत
।ईस्ट इंडिया नाम की ब्रिटिश कंपनी लगभग पूरे विश्व पर राज करती थी। ब्रिटेन से सबसे बुरे पर प्रभावशाली लोग इस कंपनी के मलिक हुआ करते थे। एक टाइम में ब्रिटेन की ऑफिसियल सेना से दुगुनी बड़ी सेना इनके पास हुआ करती थी।
Read More »संस्कारी बहु
बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है।इसलिये लोग अपने जीवन मे एक "बेटा" की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे। ये बात सच भी है क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है।बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है।
Read More »Father Daughter aur OLX
जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। अपने माध्यम से किसी को क्या सच में कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है
Read More »अपने ग्राहकों की शिकायत को कभी हल्के में न लें
वेनिला आइसक्रीम और जनरल मोटर्स!(एक वास्तविक कहानी जो जनरल मोटर्स के एक ग्राहक के साथ घटी.).जनरल मोटर्स की पोंटिएक मॉडल की गाड़ी के विभाग को एक शिकायत प्राप्त हुई जिसमें लिखा था: मैं आपको दूसरी बार लिख रहा हूँ. हालाँकि जवाब न देने के लिए मैं आपको दोषी नहीं ठहराता क्योंकि मेरी शिकायत आपको मज़ाक लग रही होगी. लेकिन यह …
Read More »जब भारत में गुप्त साम्राज्य था
लेकिन स्कन्दगुप्त ने उन्हें बुरी तरह पराजित किया जिसके कारण वे ईरान की तरफ चले गए।
Read More »झांसी की रानी लक्ष्मीबाई
बुंदेला वीर महाराजा मर्दन सिंह जूदेव व बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानी भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध विगूल फूंक ,अंग्रेजो के नाक में दम कर रखा था !!
Read More »पूरी बात
दोपहर हो गई। त्योहार निकट थी। दुकानों पर नाना प्रकार की मिठाइयाँ और चीनी के खिलौने सजे थे। एक हलवाई ने चीनी से आदमी की आकृति बना रखे थे
Read More »कर्मा जरूर लौटता है
एक बुजुर्ग आदमी भुख से व्याकुल था,वो एक तालाब पर जाता है और बड़ी मशक्कत से एक मछली पकड़ता है कि चलो इससे मैं भूख मिटा सकुंगा।
Read More »मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा
छोटा सा गाँव था,और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद,माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था
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