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Friendship

आप भी डायन

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ग्यारह बजने को आए ... जाने कब दोपहर का खाना चढाऐगी चूल्हे पर .... और जाने कब खाने को मिलेगा

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मम्मी पापा के संघर्ष की कहानी है,

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अपने बचपन की कुछ भावुक यादें जो मम्मी पापा के संघर्ष की कहानी है, आपसे साझा कर रही हूं। उन दिनों पैसे कमाने के लिए बहुत कठोर परिश्रम लगता था। मेरे पापा फ़ौज में थे और मम्मी ने इंटर पास किया था पर नौकरी नहीं करती थीं क्योंकि तब औरतों का नौकरी करना ज़रूरी नहीं होता था। पापा अपनी पोस्टिंग …

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ईश्वर बहुत दयालु है

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एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें तरह-तरह के फल होते थे। उस बगीचे की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था। वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था ! एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरुद, बेर, और अंगूर पक कर तैयार हो …

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जगदीप :सूरमा भोपाली

जगदीप तमिल फिल्म ‘कुलदैवम’ के हिन्दी रीमेक ‘भाभी’ (1957) में जगदीप पर एक भावपूर्ण गीत फिल्माया गया था- ‘चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना।’ इसी फिल्म में नंदा के साथ उन पर फिल्माया गया ‘चली चली रे पतंग मेरी चली रे’ भी सदाबहार गीत है। ‘भाभी’ के अलावा अपने कॅरियर के शुरुआती दौर में जगदीप …

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प्रेम पवित्र है पूजनीय है इसे कलंकित मत करो .

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गली मोहल्ले चौराहे पर बैठकर दोस्तो के बीच मदस्मत होकर अपनी अय्याशी की वीरगाथा सुनाते महानुभावों से अनुरोध है कि इसे पढ़ें..❤️🙏 कभी कभी एक से अधिक स्त्री के साथ प्रेम का स्वांग रचने वाला पुरूष खुद को बड़ा चालाक और सक्षम समझता है उसे ऐसा लगता है जैसे एक से अधिक स्त्रियों के साथ प्रेम प्रसंग करके उसने बहुत …

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अच्छाई की राह पर चलना

EK BAHUT HI ACHHI BAAT JARUR PADE मैंने ट्रेन के दरवाजे के पीछे लिखे नंबर पर कॉल लगाया,,,”आप रेनू जी बोल रहीं है”डरी ओर सहमी सी आवाज में रिप्लाई आया “जी हां, लेकिन आप कौन ओर आपको मेरा ये नंबर कहा से मिला””दरअसल वो ट्रेन,,,, दरअसल वो ट्रेन के डिब्बे में किसी ने आपका नंबर आपके नाम से लिख रखा …

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परफॉरमेंस देखनी हो तो ‘शक्ति’ ज़रूर देखें

अमिताभ बच्चन ने कभी एक इंटरव्यू में कहा था कि दिलीप साब की ‘गंगा जमुना’ उन्होंने कम से कम पच्चीस मर्तबे देखी थी. मतलब, वो बहुत बड़े फैन थे दिलीप साब के. इसीलिए एक सुबह जब उन्होंने खुद को ‘शक्ति’ में पाया तो लगा मानों खुदा मिल गया है. इसमें वो दिलीप साब के बेटे थे. दोस्तों और शुभचिंतकों ने …

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इंकलाब जिंदाबाद ✊✊✊

भगत सिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले #वाल्मीकि समाज के व्यक्ति का नाम #बोघा था। भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे। जब कोई पूछता कि भगत सिंह ये भंगी बोघा तेरी बेबे कैसे हुआ? तब भगत सिंह कहता, मेरा मल-मूत्र या तो मेरी बेबे ने उठाया, या इस भले पुरूष बोघे ने। बोघे में मैं अपनी बेबे …

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अन्यों का विचार करने का महत्व !

बहुत समय पहले की बात है । एक विख्यात गुरुदेव का गुरुकुल हुआ करता था । उस गुरुकुल में बडे-बडे राजा-महाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के पुत्र भी शिक्षा लेते थे । अनेक वर्षोंसे शिक्षा प्राप्त कर रहे कुछ शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी । अब वे सभी बडे उत्साह के साथ अपने अपने घर लौटने …

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