पौराणिक कथा के अनुसार राजा सगर ने तपस्या करके साठ हजार पुत्रों की प्राप्ति की। एक दिन राजा सगर ने देवलोक पर विजय प्राप्त करने के लिये एक.....
Read More »God Goddess
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम:
हे सत् चित्त आनंद! हे संसार की उत्पत्ति के कारण! हे दैहिक, दैविक और भौतिक तीनो तापों का विनाश करने वाले महाप्रभु! हे श्रीकृष्ण! आपको कोटि....
Read More »भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य
भगवान् कृष्ण ने जब देह छोड़ा तो उनका अंतिम संस्कार किया गया , उनका सारा शरीर तो पांच तत्त्व में मिल गया लेकिन उनका हृदय बिलकुल सामान्य एक....
Read More »श्रीमद्भागवत महापुराण
भगवान का विराट शरीर कैसा हैं? कितना बड़ा हैं?यहाँ तो केवल एक ब्रह्माण्ड की दृष्टि से बताया गया है। ऐसे अनेक ब्रह्माण्ड हैं।तुलसी रामायण में..
Read More »सती सुलोचना की कथा
सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए युद्ध में मेघनाद का वध हुआ।
Read More »तप अनुमोदन
तप के मार्ग का अनुसरण करने वाले हठ मनोबली शूरवीर होते है । तप से मन का कायाकल्प होता है । तपस्या की महिमा अपरंपार है, जो हमें मुक्ति के द्वार लेकर जाती है
Read More »माँ दुर्गा जी
परम आदर्णीय माँ दुर्गा जी को चरण स्पर्श स्वीकार हो भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने बालीं माँ दुर्गा जी की सारे संसार में हरपल जय हो
Read More »मूर्तिकार की कल्पना
मूर्तिकार की कल्पना, उंगलियों की जादूगरी, छेनी की हजारों चोट और रेती की घिसाई। और इस तरह महीनों की तपस्या के बाद वह मूर्ति उभरती है, जिसमें देवता निवास करते हैं। पर मूर्ति से देवता होने की प्रक्रिया भी इतनी सहज कहाँ… सोच कर देखिये, पूरा संसार बड़े बड़े पत्थरों, पहाड़ों से भरा हुआ है। बड़े बड़े पहाड़ तोड़ कर …
Read More »रामचरितमानस’ सुन्दर कांड- दोहा क्रमांक
जो संपति सिव रावनहिंदीन्हि दिये दस माथसोई संपदा विभीसन्हिसकुचि दीन्ह रघुनाथ।। (‘रामचरितमानस’ सुन्दर कांड- दोहा क्रमांक 49 (ख)) प्रसंग है उस घटना का जब विभीषण अपने बड़े भाई रावण का साथ छोड़कर श्री राम की शरण में आये। मिलने पर विभीषण ने श्री राम से केवल उनकी भक्ति मांगी। श्री राम ने उन्हें अपनी भक्ति तो दी ही, साथ ही …
Read More »Powerful Gayatri Mantra
ॐ भूर्भुवः स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ भूर्भुवः स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात् ॥
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