कालिंदी बेचारी ज्यादा पढ़ी लिखी तो नही थी पर !!! उस बेचारी ने बहुत कोशिश की थी कि उसके बच्चे पढ़ लिखकर उसका और उसके कुल खानदान का नाम बढ़ाएं…कालिंदी का पति बेचारा श्याम बिल्कुल “” श्याम “” जैसा ही सीधा और भोला था…उसे दुनिया की चालाकियां और चतुराई न समझ में आती थी और ना ही वह वैसा बनना …
Read More »Education
मकड़ी की कहानी
शहर के एक बड़े संग्रहालय के बेसमेंट में कई पेंटिंग्स रखी हुई थी। ये वे पेंटिंग्स थीं, जिन्हें प्रदर्शनी कक्ष में स्थान नहीं मिला था।लंबे समय से बेसमेंट में पड़ी पेंटिंग्स पर मकड़ियों ने जाला बना रखा था
Read More »राहचबेनी: एक अनूठी क़हानी
यह कहानी दिखाती है कि जीवन के अंत में भी कैसे एक इंसान दूसरों के लाभ के लिए कुछ कर सकता है। सावित्रीदेवी की इच्छा और मदन का समर्पण इस कहानी को अद्वितीय बनाता है।
Read More »तीर्थ का अर्थ
मां बाहर दरवाजे पर खड़ी हुई उसकी राह देख रही थी अंदर आकर हाथ मुंह धोकर दोनों ने भोजन किया तो मां ने उसे प्रसाद देते हुए कहा आज गली के मोड़ वाली सुमन भी वैष्णो देवी मंदिर दर्शन कर आई बस एक में ही हूं जो कोई तीर्थ .....
Read More »बड़ा भाई
क्योंकि वह अब समझ चुका था उसका बड़ा भाई उसे मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, छोटी परेशानियों से उसे अकेले तो कठिन परिस्थितियों में उसकी ढाल..
Read More »सुकून मिलता है
सितम्बर 1988 की बात है । पानागढ स्कूल में क्लास 3A की मैं क्लास टीचर थी । नयी - नयी नौकरी लगी थी , मैं दुनिया बदल दूँगी वाली उत्साह से भरी थी ।
Read More »समझदार बहु
रानी ने शिकायती लहजे में अपने भाई मोहन से कहा.... फैक्ट्री से घर लंच करने आएं मोहन ने भी जैसे ही पहला कौर सब्जी के साथ लगाकर खाया तो वह भी गुस्से से बोला.... सुधा ये क्या हैं ध्यान कहां रहता है तुम्हारा सब्जी में इतना ज्यादा नमक
Read More »स्वर्ग से सुंदर ससुराल
शादी के बाद पहली बार मायके में आई आरोही अपने मम्मी सुधा और पिता मोहनबाबू के साथ शाम की चाय का लुत्फ उठा रही थी सामने टीवी पर चल रहे सीरियल को देखकर अचानक ही वह बोली.
Read More »श्री खाटू श्याम देवाय नमो नमः
मोर मुकुट बाले की जय 🌷तीन बाण धारी की जय हो 🌹शीश के दानी की जय हो 🌹 हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा 🌷पाँडव कुल की देवी हिंगलाज माता जी को कोटि कोटिवार नमन 🔴परम आदर्णीय श्री खाटू श्याम जी बाबा ,
Read More »सॉरी रांग नम्बर
अच्छा पापा, मैं भी निकलता हूँ ऑफिस से, बस दस मिनट में स्टेशन पहुँच जाऊँगा। आप वेटिंग रूम में बैठ जाइएगा” कहकर अंकित ने फोन काट दिया। उधर ट्रेन में बैठे राजेन्द्र जी और उनकी पत्नी उर्मिला ने भी बड़े उत्साह से अपना बैग-अटैची सँभाल ली क्योंकि दिल्ली का स्टेशन आने वाला ही था। गाड़ी भी रेंगने लगी थी।
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